नदियों,वनों के दर्द को वह महसूस करता है…तड़पता है रोता है उन्हें संरक्षित करने के लिए…पर्यावरण प्रेमी वीरेंद्र सिंह वनों को आग से बचाने पेटिंग के माध्यम से संदेश दे रहे है

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कमलेश यादव: नदियों नालों में कचरा हो,पेड़ो की कोई कटाई कर रहा हो,जंगलो को आग के हवाले कर रहे हो जब भी ऐसी कोई घटनाएं सामने आती है तो यह शख्स तड़पता है उसे बचाने के लिए संरक्षित करने के लिए।छत्तीसगढ़ की माटी में पले बढ़े पर्यावरण प्रेमी वीरेंद्र सिंह की जिंदगी काफी प्रेरक है।वनों को बचाने के लिए उन्होंने बहुत सारी मुहिम शुरू की है साथ ही लोगो के बीच जाकर पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व को लेकर जागरूक भी करते है।

सामन्यतः देखने को मिलता है कि गर्मी के दिनों में जंगलो में आग लगना शुरू हो जाता है।आग लगने के भी बहुत सारे कारण हो सकते है।इससे जंगलो में रहने वाले वन्य जीव को नुकसान तो होता ही है पर कीमती वन भी नष्ट हो जाते है।थोड़ी सी सावधानियों और बचाव के जरिए इस विकराल परिस्थितियों से बचा जा सकता है।वनों को आग से बचाना हम सब की जवाबदारी है पेटिंग के माध्यम से वीरेंद्र सिंह संदेश दे रहे है।

देखा जाए तो संरक्षित वन क्षेत्रों की रक्षा का काम राज्य सरकारों का है। हर राज्य में वन विभाग का अलग बड़ा महकमा होता है। इसके पास संसाधनों से लेकर अधिकारों तक में कोई कमी हो, ऐसा भी नहीं लगता। फिर भी हैरानी की बात यह है कि संरक्षित वन क्षेत्रों के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। वन क्षेत्रों में कटाई आगजनी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

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