कमलेश यादव :मोक्ष दायिनी साँकर दाहरा हो या विशेषताओं से भरपूर खुज्जी का लंगड़ा आम,मेला मंडई का आनंद हो या प्राकृतिक सौंदर्य का मधुरतम दृश्य।डोंगरगांव क्षेत्र “चट्टान” जैसे प्रतिबद्धता वाले लोगों से भरा हुआ हैं वास्तव में “डोंगर” का शाब्दिक अर्थ ही “पहाड़” “डोंगरी” होता हैं।आज हम बात करेंगे अपने कार्यक्षेत्र में “पहाड़” की तरह दृढ़ रहने वाले शख्स डॉ. नीरेंद्र साहू की, जिन्होंने वक्त के सामने भी अपने काम की अमिट छाप छोड़ी है।चेहरे में निःस्वार्थ भाव वाली तेज और लोगों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहने वाले डॉक्टर साहब मानवता को सर्वोपरि मानते हैं।
अतीत के बारे में सवाल पूछे जाने पर डॉ. नीरेंद्र साहू ने बताया कि वे छात्र जीवन में पर्यावरण संबंधी विषयों को लेकर काफी गंभीर हो जाते थे.उन्होंने पशु चिकित्सा विज्ञान में डिप्लोमा के साथ राजनीति विज्ञान में (एमए) किया है।”जल संरक्षण और पर्यावरण” पिछले 35 वर्षों से इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं। सघन वृक्षारोपण अभियान भी चलाया गया लेकिन इस संकल्प के साथ कि एक-एक पौधे की जिम्मेदारी हम सब लेंगे। नतीजा यह हुआ कि आज वही पौधा एक विशाल वृक्ष का रूप ले चुका है।
डोंगरगांव क्षेत्र में लोकप्रिय डॉ. नीरेंद्र साहू लोगों से दिल से जुड़ते हैं। उन्होंने शोषित, वंचित और जरूरतमंद व्यक्तियों की हरसंभव मदद का हाथ बढ़ाया है। उनका मानना है कि बदलाव ज़मीन पर दिखना चाहिए. स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण सुधार, रोजगार आदि मुद्दों पर वे मुखर होकर अपनी राय रखते हैं।
सामाजिक दायित्व
प्रदेश एवं जिला साहू समाज मे भी सक्रिय भूमिका निभाते रहें हैं।उस दौरान उन्होंने ग्राम इकाई को मजबूत करने के लिए 116 से अधिक गांवों में बैठकें कीं और समाज के अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का काम किया ताकि सभी में सामाजिक चेतना का संचार हो सके. समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध बहुत संघर्ष करना पड़ा।उनका कहना है कि हमारे द्वारा किए गए कार्यों को आने वाली पीढ़ी नियति मान लेती है, इसलिए हमें सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों पर ध्यान देना चाहिए ताकि सभी लोगों को एकता के सूत्र में पिरोया जा सके।
प्रेणादायक स्रोत
मैं अक्सर कहता हूं कि एक इंसान होने की पूरी क्षमता को जानना महत्वपूर्ण है। क्या दुनिया उतनी ही है जितनी खुली आँखों से देखी जाती है? जिस दिन मनुष्य प्रकृति के संकेतों को समझ जाएगा,मार्ग प्रशस्त होते चला जाएगा।मुझे दीपक की रोशनी की तरह प्रेरणा मिला है पंथ श्री गृन्ध मुनि नाम साहेब एवं दादा स्व.लक्ष्मण दास जी से. उनका जीवन के बारे में बताना अल्प बुद्धि द्वारा विराट जीवन पर प्रकाश डालने का प्रयास जैसा है।वह अक्सर कहा करते थे कि ‘अपने जैसा बनो, किसी और जैसा नहीं।’
युवाओं को संदेश
डॉक्टर नीरेंद्र साहू जी कबीर के दोहे गुनगुनाते हुए कहते है कि ” धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा,ॠतु आए फल होय।में माली और फल को लेकर कबीर ने जिंदगी मे समय के महत्व को समझाने का प्रयास किया है।माली पौधों में जल प्रतिदिन देता है लेकिन फल सिर्फ मौसम में ही आता है इसलिए जीवन मे धैर्य रखें हर काम अपने समय पर ही होगा।युवाओं को यह बातें गांठ बांधकर रख लेनी चाहिए।
बेहद प्रेरणादायक व्यक्तित्व के धनी डॉ. नीरेंद्र साहू के कार्यों की सूची इतनी लंबी है कि उसे चंद शब्दों की सीमा में बांधना मुश्किल है।नियति ने भी उनके जीवन में कड़ी परीक्षा लेने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कभी हारना नहीं सीखा।वह डटे रहे परिस्थितियों से कभी समझौता नहीं किया और स्वयं नियति का प्रश्न बन गये। उनका काम और जुनून हमें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाता है। सत्यदर्शन लाइव “उत्साह को उत्साहित” करने वाले शख्सियत के कार्यो की प्रशंसा करता हैं।
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