सांस्कृतिक धरोहर…छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों को प्रचलन में बनाए रखने और उन्हें संरक्षित करने के लिए “गहना दिवस” की मांग

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रायपुर : छत्तीसगढ़, अपने विविध और बहुरंगी सांस्कृतिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यहां के पारंपरिक गहने, जैसे कि सुतरा, हसली, फुल्ली, और बिंदिया, अद्वितीय कारीगरी और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक हैं। इन पारंपरिक गहनों को सम्मानित करने और उनकी विशेषता को उजागर करने के लिए शुभा कलाकृति की संचालिका शुभा मिश्रा ने संस्कृति एवं उच्च शिक्षा मंत्री माननीय बृजमोहन अग्रवाल जी से सौजन्य भेंट की। उन्होंने मंत्री जी से कहा कि जिस प्रकार सभी दिवस मनाए जाते हैं, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों को प्रचलन में बनाए रखने और उसे संरक्षित करने के लिए “गहना दिवस” भी मनाया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि गहना दिवस की शुरुआत से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान मिलेगी। यह दिवस राज्य के लोगों को अपनी परंपराओं पर गर्व करने और एकता को बढ़ावा देने का अवसर देगा। इस पहल से न केवल राज्य की महिलाओं को सम्मान मिलेगा, बल्कि उनकी कला और संस्कृति को भी वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी।

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