जैविक खेती से बदल रहा नजरिया…सोच पुरानी लेकिन रास्ता नया…संस्कारधानी के उत्कृष्ट किसान श्री खेमलाल देवांगन जैविक पद्धति से खेती कर क्षेत्र के किसानों को नई राह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं

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कमलेश यादव: सोमाझिटिया, एक छोटा सा गांव, यहां की आबादी लगभग 1000 होगी। यह गांव छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित है। वैसे तो भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहें हैं ,जो कई वर्षों से जैविक विधि से खेती कर रहे हैं। नाम है श्री खेमलाल देवांगन,पेशे से शिक्षक और किसान हैं।निखार ब्रदर्स ऑर्गेनिक फार्म (Nikhar Brothers Organic Farm) के नाम से एक यूट्यूब चैनल भी है जहां खेती से जुड़ी बातें बताई जाती हैं।उनके पास गेहूं के बीज की बहुत प्राचीन किस्म उपलब्ध है जो सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित है।देशी धान और मूंग दाल की स्थानीय किस्में भी उपलब्ध हैं।उनका कहना है कि जैविक खेती भारतीय कृषि की एक प्राचीन पद्धति है जो भूमि के प्राकृतिक गुणों को बरकरार रखते हुए हमें रसायन मुक्त शुद्ध भोजन प्रदान करती है।

सत्यदर्शन लाइव से बात करते हुए श्री खेमलाल देवांगन ने बताया कि 2008 में वे कृषि मेला कार्यक्रम में भाग लेने गए थे, जहां उन्हें डॉ. कृष्ण चंद्रा जी के OWDC (waste decomposer) उत्पाद के बारे में पता चला। वर्तमान में NWDC (waste decomposer) इस प्रोडक्ट का नवीनतम संस्करण है।  डॉक्टर साहब द्वारा जैविक पद्धति पर बनाए गए सैकड़ों वीडियो का अध्ययन करने के बाद उन्होंने स्वयं लगभग 8 एकड़ भूमि पर जैविक पद्धति से खेती शुरू की, जो पूरी तरह सफल रही।

सोशल मीडिया बनी ताकत
इनके द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में जैविक विधि से उन्नत खेती के लिए उत्पाद एवं बीज भेजे जाते हैं।सोशल मीडिया के द्वारा हजारों किसानों को खेती से संबंधित मार्गदर्शन मिलता है। खेती के लिए अत्यधिक प्रभावी गोमूत्र भी उपलब्ध है।उनके पास जैविक विधि से तैयार 5 प्रकार की गेंहू जिसमे मुख्यत: (1) देशी बंशी गेहूं (2) प्राचीन सोना मोती गेहूं (3) पुरातन देशी खपली गेहूं (4) काला गेहूं (5) शरबती 306 गेहूं उपलब्ध हैं।कुल मिलाकर मुख्य उद्देश्य लोगों को जैविक खेती के प्रति प्रेरित करना है।

जैविक खेती से लाभ
उत्कृष्ट कृषक श्री खेमलाल देवांगन ने बताया कि जैविक खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।  सिंचाई का अंतराल बढ़ जाता है। रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होने से उर्वरक की लागत कम हो जाती है। जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है। भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं। भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होता हैं।

उद्देश्य
वर्तमान समय में कृषि व्यवस्था पूरी तरह से बदल चुकी है जिसका एकमात्र कारण बढ़ती जनसंख्या है।
जिसके कारण अधिक खाद्यान्न उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है और अधिक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है।लोग जैविक खेती को भूलते जा रहे हैं।वह लोगों को धीरे-धीरे जैविक खेती की ओर ले जाने के लिए मिशन मोड में काम कर रहे हैं।

भारत में कहा जाता है, ‘यथा अन्नम तथा मन्नम।  यानि कि हम जो खाना खाते हैं उसी के अनुसार हमारा दिमाग बनता है। यानी भोजन न सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य में एक बड़ा कारक है, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। भारत की टिकाऊ खाद्य संस्कृति हजारों साल पुरानी है।पहले खेती केवल जैविक विधि से ही की जाती थी...श्री खेमलाल देवांगन (किसान)

नई राह युवाओं में जगा रही प्रेरणा
पारंपरिक खेती से हटकर जैविक पद्धति से खेती कर वह क्षेत्र के किसानों को नई राह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। श्री खेमलाल देवांगन ने इस वर्ष गेहूँ और धान में अच्छा उत्पादन हासिल किया है।  जैविक खाद से तैयार किया गया जैविक गेहूं और धान की बाजार में बहुत मांग है. श्री खेमलाल देवांगन न केवल इस खेती से मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि जैविक खेती कर अन्य किसानों को भी तरक्की की नई राह दिखा रहे हैं।

पुरस्कार
*भारत की जनगणना 2011 में असाधारण उत्साह और उच्च कोटी की सेवा के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति द्वारा जनगणना रजत पदक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
*कृषक रत्न सम्मान समारोह (2019) ग्राम कुमर्दा में जैविक कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु कृषक रत्न सम्मान दिया गया।
*आदित्य फाउंडेशन वर्धा (2022) के द्वारा कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए बलीराजा सम्मान से नवाजा गया।
*दैनिक आज की जनधारा और वीआईपी न्यूज चैनल छत्तीसगढ़ (2022) के द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों कर्मवीर सम्मान और प्रशस्ति पत्र दिया गया।
*मैजिक बुक ऑफ रिकार्ड फरीदाबाद द्वारा उभरता कृषि व्यवसाय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
*अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन में राष्ट्रीय गौरव अवार्ड से सम्मानित किया गया।
*कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगाँव (2022) में कृषि उद्यमिता कार्यशाला में उत्कृष्ट सहभागिता के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

भोजन प्रत्येक मनुष्य की दिनचर्या का अभिन्न अंग हैं।अच्छे व्यंजन अजनबियों में भी एक बंधन स्थापित करने में मदद करते हैं। भारत में शाही पाक विरासत और व्यंजनों की एक परंपरा रही है। वर्तमान में हमें उन खाद्य पदार्थो की ओर जाना चाहिए जो न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि पृथ्वी और प्रकृति को भी किसी तरह का नुकसान न पहुंचाए। जैविक पद्धति से खेती कर श्री खेमलाल देवांगन कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गये हैं।सत्यदर्शन लाइव ऐसे उन्नतशील किसान की प्रशंसा करता है।जैविक खेती की सलाह दिए गए मोबाइल नंबर 7000046266 से प्राप्त की जा सकती है।

(यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हों तो हमें satyadarshanlive@gmail.com लिखें,
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