कोंडागांव:संसार मे जितनी भी वनस्पतियां है किसी न किसी उपयोगी कार्य मे आता है।आज हम बात करेंगे अति दुर्लभ पुष्प ब्रह्मकमल की,हिमालय की वादियों में यह दुर्लभ पुष्प पाया जाता है।कई ग्रन्थों में इसका वर्णन किया गया है।छत्तीसगढ़ राज्य के कोंडागांव जिले में यह दुर्लभ पुष्प श्री रूपचंद पटेल(ग्राम मसोरा) के यहां खिला हुआ है।यह दुर्लभ पुष्प सिर्फ रात में ही खिलता है सुबह होते ही इसका फूल अपने आप बंद हो जाता है। अपनी विशेषताओं की वजह से यह दुनियाभर में लोकप्रिय है और लोग इसको देखने के लिए तरसते हैं। यह एकमात्र ऐसा फूल है जिसकी पूजा की जाती है और जिसे देवताओं को नहीं चढ़ाया जाता। भगवान ब्रह्मा के नाम पर इस फूल का नाम पड़ा था। माना जाता है इस फूल के दर्शन मात्र से अनेक इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
माना जाता है कि इसकी पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती हैं। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है। इससे पुरानी (काली) खांसी का भी इलाज किया जाता है। इससे कैंसर सहित कई खतरनाक बीमारियों का इलाज होता है। यह तालों या पानी के पास नहीं बल्कि ज़मीन में उगता है। ब्रह्म कमल को ससोरिया ओबिलाटा भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम एपीथायलम ओक्सीपेटालम है। इसमें कई एक औषधीय गुण होते हैं।
यह अत्यंत सुंदर चमकते सितारे जैसा आकार लिए मादक सुगंध वाला पुष्प है। ब्रह्मकमल को हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहा गया है। यह कमल आधी रात के बाद खिलता है इसलिए इसे खिलते देखना स्वप्न समान ही है। एक विश्वास है कि अगर इसे खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो अतिशीघ्र पूरी हो जाती है। ब्रह्मकमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि सिर्फ रात्रि में ही खिलता है। दुर्लभता के इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है।