जंगल डायरी…छत्तीसगढ़ में पहली बार अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का हिरण को देखा गया है.इंडियन माउस डियर (इंडियन स्पॉटेड शेवरोटेन) जिसका वैज्ञानिक नाम मोसियोला इंडिका है…यह विश्व की सबसे छोटी हिरण की प्रजाति मानी जाती है

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छत्‍तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला की पहाड़ियों में केवल लौह अयस्क ही नहीं, बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य और अनोखे जीवों के लिए भी चर्चा का विषय बनती जा रही है। ऐसा ही एक जीव (दुर्लभ) हिरण) बचेली के सुभाष नगर में 22 जुलाई की रात के समय जंगल से भटकते हुए आ गया। इसकी सूचना यहां के लोगों ने वन विभाग को दी।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बेहद दुर्लभ प्रजाति का हिरण देखा गया है. बताया जा रहा है कि यह हिरणों की सबसे छोटी प्रजाति का हिरण है. इसकी लंबाई 57.5 सेंटीमीटर होती है और वजन सिर्फ 3 किलो के आसपास होता है. यह हिरण अधिकतर रात में निकलता है और बहुत मुश्किल से देखने को मिलता है.

खास बात यह है कि इसे देखने के लिए वन विभाग ने ट्रैप कैमरा भी लगाया है. लेकिन इनकी तस्वीरें इस ट्रैप कैमरा में कैद नहीं हो पाईं. लेकिन गुरुवार सुबह इस खास प्रजाति के हिरण को घायल अवस्था में शहरी क्षेत्र में देखा गया, जिसके बाद वन विभाग की टीम ने हिरण का ईलाज करवाया. इसके बाद वापस दंतेवाड़ा के बैलाडीला के घने जंगलों में छोड़ दिया गया.

प्रदेश में पहली बार दिखा दुर्लभ प्रजाति का हिरण
जानकार बताते हैं कि यह हिरण अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का है. इंडियन माउस डियर (इंडियन स्पॉटेड शेवरोटेन) जिसका वैज्ञानिक नाम मोसियोला इंडिका है. यह विश्व की सबसे छोटी हिरण की प्रजाति मानी जाती है. दुर्लभ प्रजाति के हिरण देश में बेहद कम ही जगह में देखे गए हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में पहली बार इस हिरण को देखा गया है.

जंगल में इसे देख पाना आसान नहीं होता, बैलाडीला के पहाड़ियों में होने की जानकारी अब तक वन विभाग को भी नहीं थी. हालांकि वन विभाग ने जरूर यहां के वन्य जीव जंतुओं के लिए ट्रेप कैमरा जरूर लगाया है. लेकिन इसमें भी कभी इस छोटी प्रजाति के हिरण की तस्वीरें कैद नहीं हुईं. खास बात यह है कि बैलाडीला में इससे पहले दुर्लभ प्रजाति का सांप भी देखा गया था. जानकारों का कहना है कि बैलाडीला के फॉरेस्ट एरिया में इस तरह के प्रजाति के वन्यजीवों के संरक्षण की खास जरूरत है.

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि बैलाडीला के शहरी क्षेत्र में हिरण के भटकने की जानकारी मिलने के बाद फॉरेस्ट रेंजर आशुतोष मांडवा अपने टीम के साथ मौके पर पहुंचे. वो हिरण को वन विभाग के ऑफिस लेकर लाए. उसके बाद रायपुर जंगल सफारी के पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर बचेली के पशु चिकित्सक से हिरण की जांच करवाई गई. हिरण थोड़ा घबराया हुआ और चोटिल था. इसलिए पशु चिकित्सक से उसका उपचार करवाने के बाद उसे घने जंगलों में छोड़ दिया गया.

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