भारत का पहला गोल्ड…मीराबाई चानू पानी से भरी बाल्टी लेकर पहाड़ों पर चढ़ जाती थीं…घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वो अपने भाई बहनों के साथ जंगलों से लकड़ियों के गट्ठर लाती थीं…आज पूरी दुनिया इस जज्बे को सलाम कर रही है

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गोपी साहु:कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नही होता।अपने लक्ष्य को बेहतर रणनीति और ईमानदार तैयारी के साथ आसानी से हासिल किया जा सकता है।बस क्या है निरन्तर उस दिशा में अभ्यास करते चले एक न एक दिन मंजिल आपके कदम के नीचे रहेगी।मीराबाई चानू ने कामनवेल्थ गेम्स 2022 में स्वर्ण मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है।

ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को पहला गोल्ड दिलाया है। उन्होंने वेटलिफ्टिंग में 49 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इसके अलावा मीराबाई ने राष्ट्रमंडल खेलों में नया इतिहास भी रच दिया है। उन्होंने स्नैच राउंड में सबसे ज्यादा वजन उठाने का रिकॉर्ड बनाया। मीराबाई ने स्नैच राउंड में सबसे ज्यादा 88 किलो का वजन और क्लीन एंड जर्क राउंड में 113 किलो का वजन उठाया। उन्होंने कुल मिलाकर 201 किलो का वजन उठाया।

मीराबाई चानू का यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था। जब वह छोटी थीं तो घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वो अपने भाई बहनों के साथ जंगलों से लकड़ियों के गट्ठर लाती थीं। लकड़ियों के गट्ठर उठाते-उठाते मीराबाई में एक असामान्य प्रतिभा जाग गई और मात्र 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने लोकल वेटलिफ्टिंग टूर्नामेंट में अपने जीवन का पहला पदक जीत लिया।मीडिया को दिए इंटरव्यू में मीराबाई चानू की मां तोम्बी लीमा ने बताया था कि मीराबाई की डाइट के लिए पैसे नहीं थे। उनकी डाइट का इंतजाम करने के लिए ही गांव में चाय-नाश्ते की दुकान खोली।

ओलिंपिक में गोल्ड जीतेगी, फिर होगी शादी
मीराबाई के बर्मिंघम में शनिवार को दूसरा गोल्ड जीतने के बाद उनकी मां तोम्बी लीमा ने मीडिया से कहा कि अभी दो साल तक बिटिया की शादी नहीं करेंगी। पेरिस ओलिंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने के बाद ही वह मीरा की शादी करेंगी। अभी उनको ओलिंपिक में गोल्ड जीतने का सपना पूरा करने के लिए मौका देना चाहती हैं।

ट्रक ड्राइवर्स से लिफ्ट लेकर खत्म किया 21 वर्षों का सूखा
पैसे नहीं होने के कारण मीराबाई ट्रक ड्राइवर्स से लिफ्ट लेकर ट्रेनिंग सेंटर जाती थीं। मीराबाई इससे कभी निराश नहीं हुईं। देश के लिए एक से बढ़कर एक उपलब्धि अपने नाम करने वाली मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 में 49 किलोग्राम भार वर्ग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर 21 वर्षों के इंतजार को खत्म कर दिया। 21 वर्ष पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने ब्रॉन्ज जीतकर भारत को यह गौरव प्रदान किया था।

पानी के बाल्टी लेकर पहाड़ चढ़ती थीं
मीराबाई बचपन से ही खेलों की ओर रुझान रखती थीं। वह टीवी पर फिल्में और सीरियल की जगह स्पोर्ट्स देखती थीं। ऊपरवाले ने उसके शरीर में ताकत भी दी है। जब वह 5-6 साल की थी तो वह पानी से भरी बाल्टी लेकर पहाड़ों पर चढ़ जाती थीं। जब मीरा 10 साल की थी तब अपनी बड़ी बहनों के साथ खाना बनाने के लिए जंगल से लकड़ी के भारी गट्ठर उठा कर लाती थी।

मीरा की बड़ी बहनें भी इतना वजन नहीं उठा पाती थीं। मीरा ने टीवी पर देश की महान वेटलिफ्टर कुंजू रानी देवी को वेटलिफ्टिंग करते देखकर कहा था कि वह भी इस खेल में जाना चाहती है। मीरा की मां को पता था कि वे भारी वजन उठा सकती हैं, इसलिए वह तैयार हो गईं। मीरा के पिता को शुरुआत में यह पसंद नहीं था, लेकिन बाद में वे भी मान गए।

2016 में शादी करने के लिए मीराबाई पर बनाया गया था दबाव
2016 रियो ओलंपिक में एक बार भी सही वेट नहीं उठा पाने के कारण मीराबाई को डिसक्वालिफाई कर दिया गया था। इस विफलता के बाद परिवार वाले उन पर शादी का दबाव बना रहे थे। उनका कहना था कि अब खेल बहुत हुआ, शादी करो और घर बसाओ, लेकिन देश के लिए मेडल जीतने का जुनून रखने वाली मीरा ने साफ इनकार कर दिया। कहा- जब तक ओलिंपिक में मेडल नहीं जीतूंगी तब तक शादी नहीं करूंगी।

यह खुलासा खुद मीराबाई के माता-पिता ने किया था। टोक्यो में मीराबाई की सफलता के बाद मीडिया ने मीराबाई के पिता सैखोम कृति और मां तोम्बी लीमा से बात की थी। मीरा ने टोक्यो में सिल्वर जीतने के बाद मां से कहा था कि अब उनका टारगेट अगले ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है।

8 अगस्त 1994 को मणिपुर के नोंगपेक काकचिंग गांव में मीराबाई का जन्म हुआ था।चोट के बाद 2019 में की शानदार वापसी।मीराबाई को 2018 में पीठ दर्द से जूझना पड़ा था। हालांकि उसके बाद उन्होंने 2019 के थाईलैंड वर्ल्ड चैंपियनशिप से वापसी की और चौथे नंबर पर रहीं। तब उन्होंने पहली बार 200 किग्रा से ज्यादा का वजन उठाया था। चानू कहती हैं कि उस समय भारत सरकार का पूरा सपोर्ट मिला। इलाज के लिए मुझे अमेरिका भेजा गया। इसके बाद मैंने न केवल फिर से वापसी की, बल्कि अपने करियर का सबसे ज्यादा वजन उठाने में भी सफल हुई।

2018 कॉमनवेल्थ में भी गोल्ड जीत चुकी हैं मीराबाई
चानू ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किग्रा कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता तथा गोल्ड कोस्ट में हुए 2018 कॉमनवेल्थ में विश्व कीर्तिमान के साथ गोल्ड मेडल जीता था। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि अनाहाइम, संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित हुई वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना था। चानू ने 24 जुलाई 2021 को ओलंपिक में 49 किग्रा वेटलिफ्टिंग में भारत के लिए पहला सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने स्नैच में 87 kg भार उठाते हुए,क्लीन एंड जर्क में 115 kg सहित कुल 202 किलोग्राम वजन उठा कर रजत पदक पर कब्जा किया था।

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