छोटे से गांव के “बुक विलेज” बनने की प्रेरणादायी कहानी…गांव में ऐसी ग्यारह अलमारियों की स्थापना की गई है,और सात हजार से अधिक पुस्तकों के मकान हैं…किताबें कोई भी ले सकता है,उन्हें पढ़ सकता है,और उन्हें वापस रख सकता है

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गोपी साहू:विद्यां ददाति विनयं,विनयाद् याति पात्रताम्।पात्रत्वात् धनमाप्नोति,धनात् धर्मं ततः सुखम् अर्थात विद्या विनय देती है,विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है,और धर्म से सुख प्राप्त होता है।ज्ञान ही आदि मानव से आधुनिक मानव के सफर तक मनुष्य के लिए वरदान बना है।हमारे ऋषि मुनि सन्तो और वैज्ञानिकों की बाते पुस्तक के रूप में अनन्त काल तक सुरक्षित रखा गया है।यकीनन पुस्तक प्रकाश की भांति हमारे जीवन को आलोकित करती है।आज हम बात करेंगे एक छोटे से गांव के बारे में जिसे “बुक विलेज” के नाम से पुकारा जाता है।

कुदरत ने केरल को विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों से नवाजा है आज की यात्रा केरल के एकमात्र बुक विलेज में।कोल्लम जिले में पेरुमकुलम एक छोटा सा गांव कुलक्कड़ा में कोटाराक्कारा के पास स्थित है।बापूजी स्मारक ग्रँथशाला के माध्यम से गांव को प्रथम पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है।गांव के विभिन्न कोनो पर पुस्तकालय होना एक जुनून ही है।गांव में ऐसी ग्यारह अलमारियों की स्थापना की गई है,और सात हजार से अधिक पुस्तकों के मकान हैं।किताब के घोंसले से किताबें कोई भी ले सकता है,उन्हें पढ़ सकता है,और उन्हें वापस रख सकता है।पुस्तकालय घरों में किताबें भी पहुंचाता है।

दिग्गज मलयालम लेखक एम.टी.वासुदेवन नायर ने ‘ किताब गांव ‘ के रूप में पहली बार दुनिया के सामने लाया और यह नाम दिया। इसके बाद,राज्य पुस्तकालय परिषद ने मुख्यमंत्री को अपनी अद्वितीय कार्य की सूचना दी,और उन्होंने आधिकारिक तौर पर पठन दिवस पर पेरुमकुलम को ‘ बुक विलेज ‘ की उपाधि प्रदान की । घरों में किताबें बांटने की पहल ने कई लोगों की मदद की – न सिर्फ ज्ञान बढ़ाने के लिए ,बल्कि महामारी से लड़ने के लिए भी ! COVID मानदंडों का पालन कर किताबें बांटने के लिए एक टीम तैनात की गई है । प्रख्यात लेखक एम . मुकुंदन पुस्तकालय के संरक्षक के रूप में कार्य कर रहे है।

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