आमतौर पर युवतियां और महिलाएं किसी विशेष उत्सव पर ही हाथों में मेहंदी रचवाती हैं…इन सभी को शायद ही पता होगा कि इसका यह शौक एक बड़े कारोबार को खड़ा कर चुका है…21 वर्षीय लड़की की कहानी,जो पढ़ाई के साथ मेहंदी लगाने के कार्य मे अच्छा आय अर्जित कर रही है…

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मन मे यदि किसी चीज के प्रति लगन हो,तो सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ना आसान हो जाता है,कुछ ऐसा ही कहानी है 21 वर्षीय हसीना शेख की,पढ़ाई के साथ साथ अपनी हॉबी को पार्ट टाइम काम के लिए चुना और आज काफी अच्छा आय अर्जित कर रही है।जी हां हम बात कर रहे है मेहंदी के कारोबार की।शादी-ब्याह हो,त्यौहार जैसे रक्षाबंधन,ईद,दिवाली आदि में इसका खुशी के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल होता है.अपने अम्मी परवीन शेख के संघर्षो से प्रेरणा लेकर पिछले 5 वर्षों से सालाना 50 मेहंदी लगाने का ऑर्डर मिल ही जाता है।

हसीना शेख अभी सेकंड ईयर की छात्रा है,पढ़ाई के साथ अपने काम के लिए पूरा समय निकाल लेती है।छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के हीरामोती लाइन सारथी पारा की रहने वाली हसीना शेख को शुरुआत में ऑर्डर मिलने में दिक्कत होती थी,लेकिन मेहंदी लगाने की रचनात्मकता के वजह से पूरे शहर में प्रचार प्रसार हो गया है।मेहंदी की सांस्कृतिक कीमत इतनी है कि ज्यादातर धर्मों के विवाह में इसका प्रयोग शुभता के लिए होता है. किसी भी खास मौके पर छोटी लड़कियों से लेकर घर की बड़ी महिलाओं के हाथ में मेहंदी का रंग दिख ही जाता है.

आमतौर पर युवतियां और महिलाएं किसी विशेष उत्सव पर ही हाथों में मेहंदी रचवाती हैं। इन सभी को शायद ही पता होगा कि इसका यह शौक एक बड़े कारोबार को खड़ा कर चुका है। जुलाई से दिसंबर तक की अवधि को मेहंदी सीजन कहा जाता है।हाथों में मेहंदी रचने का कारोबार साइबर सिटी में तेजी से परवान चढ़ रहा है। ईद, हरियाली तीज और रक्षाबंधन पर करोड़ों के वारे न्यारे हो जाते हैं।

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