*अपना दीपक स्वयं बनो…न सरकारी मदद और न किसी मददगार का इंतजार किया…गर्भवती पत्नी,हाथ गाड़ी में नन्ही बेटी, 800 किमी खींचकर पैदल चला मजदूर…*

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वापसी की इस से मार्मिक तस्वीर दूसरी शायद ही कोई हो। इस तस्वीर में जो दृश्य नजर आता है उसमें एक पति और एक गर्भवती पत्नी है, जिनके साथ उनकी एक दो साल की बच्ची भी है। बच्ची और गर्भवती पत्नी हाथों से बनाई काठ की गाड़ी पर बैठी है और पति उसे खींचता चला आ रहा है। यह न सिर्फ एक तस्वीर का दृश्य बल्कि वह सच्चाई है जो जिले के लांजी से सटी प्रदेश की सीमा पर मंगलवार को नजर आई। बालाघाट के कुंडे मोहगांव का रहने वाला रामू घोरमारे (28 वर्ष) हैदराबाद में मजदूरी करता था। मजदूरी का काम उसकी पत्नी धनवंताबाई भी करती थी।

लॉकडाउन के कारण ठेकेदार की साइड बंद हुई और यह मजदूर दंपत्ति रोजी-रोटी के लिए मोहताज हो गए। सरकार से घर वापसी की तमाम मिन्नतों के बाद जब कोई साधन नहीं मिला तो रामू अपनी बच्ची अनुरागिनी व पत्नी के साथ पैदल ही 800 किमी के लंबे सफर पर निकल पड़ा। कुछ दूर तक को बेटी को गोद में लिए यह रामू व धनवंताबाई आगे बढ़ते रहे लेकिन जब इन्हें कोई साधन नहीं मिला और गर्भवती धनवंता की हिम्मत भी जवाब देने लगी तो रामू ने मौके से ही कुछ बांस और लकड़ी के टुकड़े चुने।

एक हाथ गाड़ी बनाई और उस पर गर्भवती पत्नी और बेटी को उसमें बैठा कर, हाथ गाड़ी खींचता हुआ पैदल ही बालाघाट के लिए चल पड़ा। इस प्रयास में उसके पैरों में छाले तक पड़ गए लेकिन वह रूका नहीं और आगे बढ़ता रहा। लगभग 17 दिन में 800 किमी की यात्रा करने के बाद मंगलवार को जब यह छोटा सा परिवार लांजी सीमा पर पहुंचा तो मार्मिक दृश्य देख सब सिहर उठे। रजेगांव सीमा पर मौजूद लांजी, सडीओपी नितेश भार्गव ने जब यह दूश्य देखा तो उन्होंने एक निजी गाड़ी से रामू, उसकी गर्भवती पत्नी धनवंताबाई और 2 वर्षीय बेटी अनुरागिनी को उनके घर भेजने की व्यवस्था की। अनुरागिनी के पैरों में चप्पल तक नहीं थी। पुलिस ने उसे चप्पल और खाने का सामान ला कर दिया और घर भेज दिया।

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