सत्यदर्शन साहित्य…”मन-अदहन” किताब की लेखिका मधु चतुर्वेदी से खास-बातचीत…पूरे भारत मे यह किताब टॉप बेस्टसेलर की श्रेणी में है…

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कमलेश यादव,रायपुर:-छत्तीसगढ़ की माटी ने कई अनमोल शख्सियत दिए है उन्ही में से एक है “मन अदहन” किताब की लेखिका मधु चतुर्वेदी जिनके लेखन से पूरे भारत को गर्व है।”मन अदहन” किताब कुछ महीनों से टॉप बेस्टसेलर के श्रेणी में है।किताब में सहज शब्दो मे लाखो पाठको के अंतर्मन को स्पर्श किया है।विगत दिनों साहित्य आज तक के मंच पर’मन अदहन’किताब का  विमोचन हुआ था।आइये जानते है लेखिका मधु चतुर्वेदी  से खास-बातचीत के कुछ अंश।

पारिवारिक पृष्ठभूमि
मेरा जन्म बिलासपुर छत्तीसगढ़ का है ।माता पिता दोनों ही प्रोफेसर थे । स्कूल के दिनों से ही लगातार कहानी , निबंध लेखन प्रतियोगिताएं जीतती रही । अंग्रेजी और हिंदी साहित्य में गोल्ड मैडल लेकर कुछ दिन डी ए वी में अध्यापन किया लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों की वज़ह से छोड़ना पड़ा।शादी के बाद कविताओं से डायरी भरने लगी लेकिन उन्हें प्रकाशित करने का ख्याल कभी भी नही आया।

लेखन का रोचक सफर
मेरे लिए लेखन अपने भीतर चल रही कशमकश , बेचैनी और भावनात्मक उफ़ान से उबरने के जरिया है । कविताएँ   इतनी निजी की उनकी सार्वजनिकता का अर्थ है दुनिया के लिए खुली किताब हो जाना इसलिए लेखन का कुछ हिस्से को साझा करना मैं कभी भी पसन्द नही करुँगी।इस बीच चार साल पहले फेसबूक पर लोगों द्वारा अपने लेखन के अंश या कविताएँ पोस्ट करते देख मैंने भी चुनिंदा सामग्री पोस्ट करना आरंभ किया ।
पाठकों से मिलने वाली सकारात्मक प्रतिक्रियाएं अचंभित करने वाली थी ।सोशल मीडिया ने ही मुझे नई  राहे दी।
प्रसार के इस माध्यम से अखबार और पत्रिकाओं के प्रकाशक मुझ तक आए । मुझे अब सचमुच याद नही कि कविताएँ कितनी  पत्रिकाओं और अखबारों में छपे ।
इसी बीच हरियाणा में बेटी बचाओ विषय पर अंतरराष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता हुई जहाँ 6000 कविताओं के बीच मेरी कविता प्रथम आई ।
मन अदहन मेरी पहली किताब है जिसे देश के अग्रणी प्रकाशन हिन्द युग्म ने प्रकाशित किया । किताब लगातार बेस्ट सेलर बनी हुई है । पहली किताब का बेस्ट सेलर होना निश्चित रूप से लेखक के लिए सन्तोषजनक होता है।दूसरी किताब भी जल्दी ही पाठकों के हाथ में होगी । लम्बा नॉवेल पूर्णता की ओर है ।

प्रेरणा
जहाँ तक लेखन के लिए किसी से प्रेरणा लेकर लिखना मुझे सम्भव नही लगता ।हाँ लेखकों को पढ़कर हम अपना शब्दकोश , शैली , वाक्य विन्यास समृद्ध कर सकते है लेकिन सामग्री की आत्मा तो लेखक की मौलिक होती है , अंतरात्मा का उदबोधन होता है ।

युवाओ को सन्देश
यदि लोग प्रकाशित करने के लक्ष्य के साथ लिख रहे है तो निराश होंगे क्योंकि आपका संतोष प्रकाशक के हाथ में है । लेखन में दम है तो अच्छे प्रकाशक छापेंगे ही । उन्हें भी अपना व्यवसाय करना है और वे स्तरीय लेखन की कद्र करते है ।

साहित्य आज तक मे किताब का विमोचन
हाँ किताब प्रकाशित होने के बाद मेरे जीवन में यह बदलाव आया कि मैं अपने लेखन कि फाइलिंग कर उसे व्यस्थित रखने लगी हूँ क्योकि लेखन को दिशा और पाठक मिल गए है इसलिए अब लिख लेने के बाद उसे पठनीय और सहज करने पर भी ध्यान देने लगी हूँ ।
आज तक चैनल ने मन अदहन की सफलता देख “साहित्य आज तक” के मंच पर किताब का विमोचन किया ।साहित्यिक चर्चाओं को समारोहों में जाने की बजाए यू ट्यूब पर सुनना पसंद करती हूँ । मैं कुशल वक्ता या स्वाभाविक रूप से मिलनसार नही हूँ अतः समारोहों के आमंत्रण से दूरी बना कर रखी है । जिसमें सहज नही हूँ उससे तटस्थ रहना उचित है ।लेखन मेरा शौक नही जीवन शैली है।

लेखिका मधु चतुर्वेदी सरल,सहज और आम बोल-चाल की भाषा का उपयोग किये हुए है। और अपने प्रगतिशील विचारों को दृढ़ता से तर्क देते हुए पाठको को सोचने पर मजबूर कर देते है।नवोदित युवा लेखकों को भी प्रसिद्धि के चाह की परवाह किये बगैर अपने लेखन में ध्यान देना चाहिए।सत्यदर्शन साहित्य के तरफ से लेखिका मधु चतुर्वेदी के उज्ज्वल भविष्य की ढ़ेरों शुभकामनाएं।

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