वैसे तो मूर्तिकार बहुत हैं,लेकिन जिस तन्मयता से वे मूर्तियाँ बनाते हैं,उससे तो यही लगता है कि बस कुछ ही देर की बात है,जब पत्थरों में जान आ जायेगी…मनोज कुमार सोनी की प्रेरणादायक कहानी जो छेनी और हथौड़े की मदद से पत्थर काटकर मूर्तियां बनाते हैं

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कमलेश यादव :आस्था का प्रतीक है मन्दिर…विश्वास का प्रतीक है मन्दिर…इतिहास गवाह है कि प्राचीन काल से ही मनुष्य ने अपनी विशेष कला के माध्यम से इन मंदिरों में भगवान की उपस्थिति को महसूस किया है।यहां सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है।आज हम एक ऐसे शिल्पकार के बारे में बात करेंगे जिनकी मूर्तियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।वैसे तो मूर्तिकार बहुत हैं, लेकिन जिस तन्मयता से वे मूर्तियाँ बनाते हैं, उससे तो यही लगता है कि बस कुछ ही देर की बात है,जब पत्थरों में जान आ जायेगी और भगवान साक्षात प्रकट हो जायेंगे।छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कारधानी राजनांदगांव से 10 किमी की दूरी पर ग्राम रामपुर स्थित है, जहां जाने के बाद आपकी मुलाकात शिल्पकार मनोज कुमार सोनी से होगी,जो छेनी और हथौड़े की मदद से पत्थर काटकर मूर्तियां बनाते हैं।

सत्यदर्शन लाइव से बातचीत करते हुए शिल्पकार मनोज कुमार सोनी ने बताया कि कला के प्रति उन्हें शुरू से ही रुचि था।घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए मैं ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका।वह आगे कहते हैं कि उन्होंने कभी भी बुरे वक्त के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया, दरअसल मुश्किलें हमें मजबूत बनाने के लिए ही आती हैं।मेरी माँ,श्रीमती कुंती बाई सोनी ने मुझे पाल-पोसकर इस काबिल बनाया कि आज मैं आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार की आजीविका बेहतर तरीके से चला रहा हूं।

मैं मूर्तिकला को कलात्मक अभिव्यक्ति और ईश्वर के प्रति समर्पण का एक माध्यम मानता हूं.पिछले 30 वर्षों से हजारों मूर्तियां बनाई जा चुकी हैं।आसपास के गांवों के अलावा शहर के लोग भी यहां गणपति बप्पा की मूर्तियां खरीदने आते हैं।मैं हमेशा सभी के लिए अच्छा काम करने की कोशिश करता हूं…मनोज सोनी

अभ्यास ही गुरु
गौरतलब है कि मूर्तिकार मनोज सोनी पत्थर की मूर्तियां बनाने के अलावा मिट्टी से भी मूर्तियां बनाते हैं.उन्होंने रचनात्मकता को विशेष स्थान दिया है।विभिन्न मुद्राओं में देवी-देवताओं की मूर्तियों को तराशने में अपने कौशल के कारण उन्होंने जल्द ही एक प्रतिभाशाली मूर्तिकार के रूप में ख्याति अर्जित की हैं।अभ्यास करते-करते उन्होंने मूर्तिकला में विशेषज्ञता हासिल कर ली है।उन्होंने मूर्तिकला से संबंधित कोई शिक्षा प्राप्त नहीं की है।

प्रेरणा
हर दिन जब मैं उठता हूं तो खुद को आईने में देखता हूं और खुद से बात करता हूं।जब भी मैं घना अंधेरा महसूस करता हूं तो मेरे अंदर से धीमी आवाज आती है, सब ठीक है, घबराने की जरूरत नहीं है।  मुझे लगता है कि भगवान ने मुझे कला दी है.मुझे इस दुनिया में इसीलिए ही भेजा गया है.  और जब तक सांस चलेगी अच्छाई फैलाता रहूंगा।

मनोज सोनी की यह जीवन यात्रा हमें समर्पण,और उनके कला में अद्वितीय पूर्णता की दिशा में प्रेरित करती है। उन्होंने कला की दुनिया में नया मापदंड स्थापित किया और अविस्मरणीय मूर्तिकला का निर्माण किया,जिसका प्रभाव हमें आज भी दिखाई देता है।यदि आप भी उनसे मूर्तियां बनवाना चाहते है तो 8085350275 में सम्पर्क कर सकते हैं।

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