आपदा को अवसर में बदलने की कहानी… लॉकडाउन में कोई काम नही था, हाथ से लकड़ी का साइकिल बनाने लगा…विदेशों से आ रहे खरीददार

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कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप पूरे देश पर टूट पड़ा है, अब तक लाखो लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। महामारी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी जो अब अनलॉक के रूप में लागू है। लॉकडाउन के दौरान सबकुछ बंद होने की वजह से लोगों को अपने घरों में कैद होकर रहना पड़ा, कई लोग इस स्थिति से जल्द निकलना चाह रहे थे तो कुछ ने इसे अवसर की तरह लिया। पंजाब के रहने वाले धनीराम उन्हीं में से एक हैं।

40 साल के एक कार्पेंटर धनी राम सग्गू ने आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण पेश किया है. हाथ से बने हुए उनकी लकड़ी की साइकिल चर्चा का विषय बने हुई है. वह पंजाब के जिरकपुर के रहने वाले हैं.लॉकडाउन में धनी राम ने निर्णय लिया कि वह ईको-फ्रेंडली साइकिल बनाएंगे. उनका आइडिया हिट भी हो गया. अब उन्हें कनाडा से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक से ऑर्डर आ रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सग्गू उन लोगों में से हैं, जिनकी जॉब मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से चली गई. लेकिन, उन्होंने तय कर लिया कि वह डिप्रेशन में नहीं जाएंगे और वह अपना ध्यान कुछ नया करने पर लगाएंगे

उनकी एक दुकान है जिसका नाम है नूर इंटीरियर. यह दरवाजों, कपबोर्ड्स, कोठियों के सेल्व्स के लिए काम करती है. लेकिन, लॉकडाउन में उनका काम पूरी तरह से ठप पड़ गया था और वह बिना के काम हो गए थे.

सग्गू ने 27  जुलाई से 30 अगस्त के बीच 8 साइकिल बेची है. वहीं, 5 अन्य पर वह काम कर रहे हैं. उनका मानना है कि कठिन परिश्रम से सबकुछ बदल जाता है. अब उन्हें हीरो साइकिल की तरफ से भी शुभकामनाओं भरे संदेश आ रहे हैं. चेन्नई की भी एक कंपनी उनसे संपर्क कर रही है.

इस साइकिल का कॉन्सेप्ट उन्हें आया तो उन्होंने बॉडी, हैंडलबार्स और व्हील रिम्स बनाने का काम शुरू किया. ये सब लकड़ी के थे. इसके बाद उन्होंने पुरानी साइकिल के पेडल्स, चेन, व्हील, सीट और साइड स्टैंड का इस्तेमाल किया. अंत में ये एक शानदार प्रोडक्ट तैयार हो गया.

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