कला कौशल साहित्य संगम छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया…

1025

कोरोना वायरस कोविड 19 के विषम परिस्थितियों के बीच कला कौशल साहित्य संगम छत्तीसगढ़ के पावन मंच पर मुख्य अतिथि ओ.पी.शर्मा,विशिष्ट अतिथि बोधीराम साहू,संरक्षक डॉ.श्याम मनोहर सिरोठिया,संस्थापक कौशल महंत कौशल ,अध्यक्ष एन पी विश्वकर्मा,संचालक कुमार कारनिक,प्रेरणास्रोत सुलोचना परमार,साधना मिश्रा के नेतृत्व में मासिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।मंच संचालन करते हुए संतोषी श्रद्धा महंत ने देशभर से भाग लेने वाले साहित्यकारों को क्रमवार बेहतरीन स्वर के साथ स्वरचित कविता, गीत ,दोहा ,छंद गजल,छत्तीसगढ़ी गीत,प्रांतीय गीत आदि विधाओं में कविता पाठ हेतु प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से किया गया। कार्यक्रम को दो चरणों में विभाजित किया गया,जिसमें प्रथम सत्र का संचालन संतोषी श्रद्धा महंत एवं द्वितीय सत्र का मंच संचालन सरोज सिंह राजपूत ठाकुर द्वारा किया गया।इस कवि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों सहित देश के अनेक राज्यों के साहित्यकारों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया गया। नारायणपुर से लक्ष्मी प्रिया देवांगन ने बेटी से माँ तक सफर,बलौदा बाजार से डिजेंद्र कुर्रे ने चीन की गुस्ताखी विषय पर, गरियाबंद से गोकुल राम साहू ने बेटी ला झन मारो कोख म,तिल्दा से रोशन पैकरा ने आंसू विषय पर,सरायपाली से विनोद कुमार जोगी ने फौजी देश की रक्षक शीर्षक से बेहतरीन मनहरण घनाक्षरी प्रस्तुत किया गया।

बिलासपुर से सरोज सिंह ठाकुर ने मेरी कलम अक्सर यह सोचती है,सागर मध्य प्रदेश से डॉ.श्याम मनोहर सिरोठिया ने बेहतरीन दोहे,रायगढ़ से कुमार कारनिक ने भोर का सपना,वंदना तिवारी ने प्रेम पत्र विषय पर,मधुर स्वर से खामोश शहर विषय पर गजल प्रस्तुत इन्द्राणी साहू द्वारा किया गया। साधना मिश्रा ने निराशा के दलदल में पथ तलाशती विषय पर,भाटापारा से नागेश मिश्रा ने आओ प्यारे हिंदुस्तानी कबीरधाम से बोधन राम निषाद ने कृष्ण का आह्वान करती मधुर गीत,करम लाल मांझी ने दोहे,सैन्य अफसर जगबीर कौशिक ने जल की महत्ता पर,महेंद्र देवांगन माटी ने माँ पर,बसना से गीता सागर ने अतीत का भावपूर्ण चित्रण करता काश लौट आता मेरा बचपन, प्रेमचंद साव ने पावस विषय पर, भिलाई से प्रतिभा त्रिपाठी ने लकड़ी के महत्व को दर्शाती अति सुंदर रचना,राजस्थान के शंकर जांगिड़ ने वीर रस से ओतप्रोत रचना,मनोरमा चंद्रा ने अनंत विषय पर दोहा,पश्चिम बंगाल से प्रकाश चंद्र बरनवाल ने मातृ-आशा,रामपुर से तिलोत्तमा पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ी रचना करियाकली जुग आगे,बिलासपुर से विनय पाठक ने बीती यादों पर, सावित्री यादव ने बेटियों का दर्द, गायत्री स्वर्णकार ने माँ पर, जांजगीर से बोधी राम साहू ने कोरोना पर,शंकर सिदारगोवर्धन साहू ने पर्यावरणीय गीत, अंबिकापुर से अर्चना पाठक ने नशा मुक्ति पर,पिथौरा से सेतराम साहू ने मेरे प्यार के मुक्तक विषय पर बेहतरीन प्रस्तुति दिया गया।

इस कवि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों से साहित्यकारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया गया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि खरसिया के साहित्यकार ओपी शर्मा ने कला कौशल साहित्य संगम छत्तीसगढ़ के ऑनलाइन कवि सम्मेलन की प्रशंसा करते हुए कहा कि विभिन्न विषयों में महारत कला कौशल नित नई ऊंचाइयों को छुए।समस्त साहित्यकार ऐसी रचना एवं लेख लिखें,जिससे समाज को नई दिशा प्रदान करने में सहायता मिल सके व और देश राज्य के विकास में सहभागिता दे पाए।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बोधी राम साहू ने कहा कि कवि सम्मेलन में ख्याति लब्ध कवियों ने अपनी कविता पाठ कर मंच को कविता से सराबोर कर दिया।मंच के संस्थापक कौशल महंत का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह मंच सदैव ऊंचाइयों को प्राप्त करता रहे और समाज हित में लेखन कार्य करते रहें।इन्होंने उपस्थित समस्त साहित्यकारों के रचनाओं को पढ़कर,सुनकर समीक्षा कर उचित मार्गदर्शन भी दिया गया।

वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश चंद्र बरनवाल ने कहा कि आज का ऑनलाइन कवि सम्मेलन का सफल मंचन आत्मविश्वास की स्वाभाविक आधारशिला बनकर प्रस्फुरित हुई है,जो कला कौशल के संचालक मंडल,संस्थापक कौशल महंत के अपरिमेय सांगठनिक शक्ति का परिचायक है।इस अवसर पर संरक्षक डॉ.श्याम मनोहर सिरोठीया,अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद विश्वकर्मा ने भी समस्त साहित्यकारों को विभिन्न साहित्यिक रचना से संबोधित कर उनके रचनाओं पर उत्साहवर्धन किया गया। संस्थापक कौशल महंत ने इस कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले समस्त साहित्यकारों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि समस्त साहित्यकारों के सृजन से यह मंच ऐसे ही सुरभित होता रहे और समाज हित में सदैव कार्य करते रहें।

एकल रचना पाठ का भी आयोजन-
दस सदस्य टीम के साथ एकल रचना पाठ का आयोजन भी किया गया,जिसमें छत्तीसगढ़ के जोगेश चंद्र दास सेवानिवृत्त प्रधान पाठक ने अपनी तीन सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का कांफ्रेंसिंग के द्वारा पाठ किया गया। इतिहास के पन्नों पर कुछ तो लिखा कर जाइए,धरती गगन पवन में, हे मां तेरा मान रहे,तुझे ओ स्वर्ग बना दूं,स्वर्ग भी हैरान रहे और चीन को चेतावनी देते हुए कविता आंँख दिखाएं तो फोड़ दूंगा,हाथ बढ़ाएं तो तोड़ दूंगा,कसम भवानी की गर्दन मरोड़ दूंँगा,शब्दों के साथ ओजस्वीमय कविता प्रस्तुत किया गया।उनके कविता सुनकर सभी समीक्षार्थी कवि गण भाव विभोर हो गए। कविता पाठ के बाद उनके कविता के भावपक्ष,कलापक्ष,एवं विशेषता की समीक्षा डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया,इंद्राणी साहू,साधना मिश्रा,संतोषी श्रद्धा महन्त एवं कौशल महंत द्वारा किया गया।

Live Cricket Live Share Market