टीचरों को आधी सैलरी और बच्चों से पूरी फीस, वह भी तीन महीने का एडवांस :पॉल

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राजनांदगांव। कोरोना महामारी और मंदी के बीच कई प्राईवेट विद्यालयों के द्वारा एक नई व्यवस्था बनाई है, जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। लोक शिक्षण संचालनालय, रायपुर के लॉकडाउन की अवधी में फीस वसूली स्थागित रखने के आदेश को मा. उच्च न्यायालय बिलासपुर मे चुनौती देने के पश्चात् अब ऑनलाईन क्लासेस आरंभ हो चुका है, जिसमें टीचरों को अपने घरों से ही ऑनलाईन पढ़ाई कराना है, जिसके लिए उन्हें आधी सैलरी दी जावेगी और बच्चों को भी अपने अभिभावकों के साथ ऑनलाईन पढ़ाई करना है और होमवर्क भी अभिभावकों को पूरा कराना है, लेकिन उन्हें फीस पूरा देना होगा, वह भी तीन महीने का एडवांस।

इस शिक्षा सत्र में ज्यादातर प्राईवेट स्कूलों ने फीस बीते वर्ष की तुलना में दोगुना कर दिया है, जो जांच का विषय है, क्योंकि फीस पालको की आम सहमति और जिला शिक्षा अधिकारी की उपस्थिति में निर्धारित किया जाना अनिवार्य होता है, लेकिन यह दिशा-निर्देश सब कागजों में ही अच्छा लगता है, क्योंकि प्राईवेट स्कूलों के पास फीस निर्धारित करने के कई और विकल्प होते है जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता है।

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने सरकार से मांग की है कि स्कूलों द्वारा इस शिक्षा सत्र और कोरोना काल में फीस में जो वृद्धि किया गया है, उसकी तत्काल निष्पक्ष जांच होना चाहिए और मा. उच्च न्यायालय में भी यही मांग रखा जाना था, लेकिन मा. उच्च न्यायालय, बिलासपुर मे अब सुनवाई एक सप्ताह स्थगित कर दिया गया है। सरकार भी इस मामले को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है, ऐसा उनके वकील ने मा. उच्च न्यायालय, बिलासपुर में जवाब प्रस्तुत किया है। श्री पॉल का कहना है कि प्राईवेट स्कूलों के द्वारा टीचरों को आधी सैलरी दी जा रही है तो फिर बच्चों से पूरी फीस की मांग क्यों किया जा रहा है। वह भी तीन महीने का एडवांस, टीचरों को सैलरी देने के नाम से फीस वसूला जा रहा तो टीचरों को सैलरी भी पूरा दिया जाना चाहिए। मा. उच्चत्तम न्यायालय, दिल्ली में भी कई राज्यों के पैरेंट्स एसोसियेशन में फीस और ऑनलाईन क्लासेस को लेकर याचिका दायर किया गया है जिस पर इस सप्ताह सुनवाई किया जा सकता है।

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