*सत्यदर्शन साहित्य*…… आज अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष…. बस्तर की पुरातन राजभाषा हल्बी में लिखी लघुकथा…… *मके छांडूंन नी जा…* जिसमें अपनी मातृभाषा और मातृभूमि के प्रति असीम श्रद्धा और बुदरू और भानो की प्रेम की विरह गाथा और सास-बहू की घर-घर की कहानी….

504

*मके….*
*छांडून नी जा ….*
(हल्बी नानी कहनी)

*दूसर चो पेट चो भूक आरू,देंहें चो दुख,के कोनी जानूक नी होय |* भानो बाट डेवना ने बसून काके बाट दखेसे,ये गोठ के कोनी चे नी जानत | रोज कुकड़ा बासी ले बूता भयना के करते-करते कमानी करते डंडिक-डंडिक उबुन बिचार करूआय | फेर डंडकि किदलदांय तो फेर डेवना ले बाहर निकरून बाट के चे दखते रहुआय | बुदरू बलुन जाउ रलो उदिया जोन तीन दिन ने घरे अमरेंदे बलते मान्तर पूनी जोन अमरेसे इया इयी नी हाय | लेका लेकी जुवान रलो बेरा चो मया के सुरता करून करून मने मन करलई संगे कदरई होयसे | ये बाटे सतरी बुहारी के तुनेसे,सतरी बले से – “घर चो माहारानी काजे, सोना मोहोर घेनतो काजे,मोचो बेटा राजे छाडूंन बोरिंगगाड़ी ने भूति गेलो,माहारानी घरे राज करेसे, धन रे तकदीर, येई दिन काजे मोचो नंजर ले बाहरेया पठातो काजे,मय नव महेना पेटे धरून पानी पसेया के खाउन,कनकी कोंडा के खुआउन पोसून रलें काय मोचो बेटा के, माहारानी काजे सिंगार घेनतो काजे,रूपेया आनतो काजे | सगासील संगे बसाउठा नी हाय,गांव पारा ने बाजा बाजली नाचा नाचला मान्तर मोचो बेटा नाजुने अये |’ भानो काय करे सतरी चो ककेया आरू बुदरू चो चिनता फिकर ने *काय मंजा गोठ ले आगर गोठ,सतरी ले आगर बुहारी मोट,धमड़ धस,काम बूता काजे चच बच |* जोंदरी नड़गी असन सुकली | *मया चो सुरता आरू मया चो किरता जीव ले आगर आय,मया संगे बाप सके ना मांय |* हुन बाटे बिचारा बुदरू दिनेक कमातें जाले आगर पैसा होले पीला जनम करलोने कसन पोसेंदे बलते धियान धरून बूता ने भिड़लोसे मान्तर घरे छांडली से सतरी बुहारी ने *हांडी कुंडरी खुड़ूर खाड़र,कुकड़ा कोना चो बाड़न बले लकड़ी कावड़ |*

भानो बलेसे,कुलि भूति बले करून इता चे नंगत जीवना करते रलूं ये बोरिंगगाड़ी ने गेलोसे आरू येबले नी इलो से,हे राजा मके तुय काचो राखाने इता छांडून गेली सीत, *मोचो जीवना चो मीत मोचो सोन पखना,मय काके सांगेंदे मोचो मया चो दुखा ना |* तुय आव.. तुय आव.. मके छाडूंन नी जा रे…,
*मके तुय.. छांडून नी जा रे.. |*

मया ने जीवना मांडली से,मया चो कया अपरमपार आय, मया ने खूबे शकत आसे, *जीव रत ले मया जीवना चो मुर आय | मया जीवना ले नी होलोने,जीवना चो डंड तीनपुर आय | मया काजे बुदरू कमायसे,मया काजे भानो हाकदयसे, ये मया चो किरता चे आय नाहले काके कोन भायसे |*
✍🏾©® *विश्वनाथ देवांगन’मुस्कुराता बस्तर’*
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़

(यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हों तो हमें satyadarshanlive@gmail.com लिखें,
या Facebook पर satyadarshanlive.com पर संपर्क करें | आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर और  वीडियो 7587482923 व्हाट्सएप में भेज सकते हैं)

Live Cricket Live Share Market