कमलेश यादव : सोमनाथ मंदिर के पास, एक अद्भुत सेवा कार्य पिछले 20 वर्षों से अनवरत चल रहा है। श्रीमती लाभो बेन और उनके पति रविन्द्र भाई ने मानव सेवा के इस कार्य को अपनी जीवन का ध्येय बना लिया है। इस यात्रा की शुरुआत एक छोटे से लारी से हुई थी, जिसे उन्होंने दर्शनार्थियों को निशुल्क भोजन कराने के उद्देश्य से स्थापित किया था।
इस सेवा कार्य के पीछे एक गहरी प्रेरणा थी। गुरुजी स्वर्गीय पवन गर ने लाभो बेन और उनके पति को मानव सेवा के महत्व को समझाया और यह बताया कि **”मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा है।”** गुरुजी के इन शब्दों ने उनके जीवन का मार्गदर्शन किया और वे इस सेवा कार्य में तन-मन से जुट गए।
लाभो बेन और रविन्द्र भाई का यह सेवा कार्य किसी भी त्योहार, मौसम या परिस्थिति में बंद नहीं होता। चाहे दिवाली हो या होली, बारिश हो या धूप, उनके लारी के सामने हर रोज़ दर्शनार्थियों के लिए भोजन की व्यवस्था रहती है। हर दिन सैकड़ों लोग इस भोजन का लाभ उठाते हैं और उनकी सेवा से लाभान्वित होते हैं। इस कार्य में उन्होंने कभी भी किसी से आर्थिक सहयोग की अपेक्षा नहीं की।
उनके लिए यह सेवा कार्य सिर्फ एक सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो उन्हें ईश्वर के करीब लाती है। वे मानते हैं कि उनकी यह छोटी सी सेवा, भक्तों के लिए सच्चे अर्थों में ईश्वर का आशीर्वाद है। 20 वर्षों के इस सफर में उनके द्वारा दी गई निशुल्क सेवा ने न केवल लोगों का पेट भरा, बल्कि उनके दिलों में भी जगह बनाई।
श्रीमती लाभो बेन और रविन्द्र भाई का यह कार्य सोमनाथ मंदिर के दर्शनार्थियों के लिए एक प्रेरणा है और एक सच्चे सेवा कार्य का उत्कृष्ट उदाहरण। इस सेवा यात्रा ने उन्हें समाज में आदर और सम्मान दिलाया है, जो मानवता के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।