राजनांदगांव: मुस्लिम समाज में फैली बुराइयों को रोकने व दूर करने के लिए राजनांदगांव शहर के सभी ईदारो के मुतवलिल्यांन/अध्यक्ष सभी मस्जिदों के ईमाम साहब और शहर की कमेटियों के ज्यादातर सदर व शहर के जिम्मेदार लोगो ने नेक पहल की है, एक एक घर सुधरेगा तो देश में सुधार होगा की तर्ज पर अपने समाज में फैली बुराइयों को दूर करने ,समाज को सुधारने का बेहतरीन तरीक़ा अमल में लाया है।
समाज के मिडिया प्रभारी सैय्यद अफ़ज़ल अली ने जानकारी देते हुऐ बताया कि सभी कमेटिया के ईस महत्वपूर्ण फैसले का पुरे प्रदेश में अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है बुद्धिजीवी वर्ग ईस सराहनीय कदम का स्वागत कर रहे है,* मुस्लिम समाज में फैली बुराइयां व दोषपूर्ण व्यवस्था सामाजिक व दिनी रिवाज परम्पराएं कौम के विकास में रूकावटें पैदा कर रही हैं। वही कौम को तालीम व तरक्की के रास्ते पर लाना निहायत ही ज़रूरी हो गया है।
इसी सोच को अमलीजामा पहनाने के लिए शहर की सभी मस्जिदों, दरगाहों व कब्रिस्तान कमेटियों के मुतवल्लीयान, सदर साहिबान व सभी मस्जिदों के ईमाम व हाफिज की मौजूदगी में तारीख 10 जनवरी 2024 को एक मिटिंग जामा मस्जिद में रखी गई थी जिसमें सभी पहलुओं पर गौरो फिक कर एक राय से यह तय किया की दरगाहों में होने वाले उर्स, कव्वाली मुकाबला, समा महफील, शहर से निकलने वाले संदल, चादर, जुलुस, ताजिए और शादियों में डी.जे., आतिशबाजी, बाजा, मटका पार्टी आदि को फिजूल खर्च व गैर- शरई काम करार देते हुए खत्म करना मुनासिब है, इसमें खर्च होने वाली रकम से वक्त की सबसे बड़ी जरूरत – अस्पताल व स्कूल, कॉलेज जैसे संस्थाएं बनायी जा सकती है।
परिवारजन उन्ही बचत रकम से अपने व्यापार को गति दे सकते है। हदीस में हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्ललाहू अलैहि व सल्लम ने फरमाया “15 आमाल ऐसे है जब लोगो में वह काम होने लगे तो परेशानियां और मुसिबतें आने लगती है उनमें से एक काम बाजों और गानों की कसरत है।” इसके अलावा अनेक हदीसे और भी है जिसमें हुजूर ने बाजे व शोर शराबे से मुताल्लिक अपनी नाराजगी फरमाई है।
मुस्लिम समाज ने एक राय होकर तत्काल फैसले को अंजाम तक पहुंचाने वक्त तारीख से ऐसे प्रोग्रामों को अंजाम देने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है।समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति तक ये पैगाम पहुंचाकर हम सुधरेगें तो आने वाली नस्लें सुधरेगी की तर्ज पर गुजारिश की है कि ऐसे आयोजन में शरीक ना हो व अपने नौजवानों को भी समझाइस दी, गैर शरियतन व फिजूलखर्चों को रोकने में मदद करते हुए गुनाहो से खुद बचे व कौम देश को भी बचाएं। कड़ी ताकित की गई है उपरोक्त फैसले पर अमल नही करने की स्थिति में बर्तन, सामान, जामातखाना आदि का उपयोग करने की इजाजत नही होगी व ऐसे में शहर के पेश ईमाम साहब निकाह नही पढ़ा सकेगें।