कमलेश यादव: इस दुनिया से चले जाने के बाद भी इंसान अपने अच्छे कामों से लोगों के दिलों में जिंदा रहता है। ऐसी ही एक सच्ची कहानी संस्कारधानी राजनांदगांव में रहने वाले राठी परिवार की है। जिसमें वह अपने पिता द्वारा समाज के कल्याण के लिए की गई निस्वार्थ सेवा की भावना को आगे बढ़ा रहे हैं।स्वर्गीय श्री देवकरण जी राठी ने जीवन भर सेवा और समर्पण की मिसाल कायम की। बीएसएनएल में टेलीफोन ऑपरेटर के पद पर काम करते हुए उन्होंने अपने विनम्र स्वभाव और मददगार व्यक्तित्व से अनगिनत लोगों का दिल जीता। माहेश्वरी समाज के प्रथम देहदानकर्ता के रूप में उन्होंने समाज के लोगों को एक नई दिशा दिखाई है। उन्होंने सामाजिक संगठन ‘बढ़ते कदम’ के माध्यम से यह प्रेरणादायक कदम उठाया था।
गौरतलब है कि उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम उनके तीन बेटों अजय राठी, राजेश राठी और दीपक राठी ने संभाला। राठी परिवार हर साल दिसंबर के महीने को सेवा और समर्पण दिवस के रूप में मनाकर अपने पिता की याद को जीवित रखता है। इस पहल के तहत वे बच्चों के लिए निःशुल्क स्पीच थेरेपी कैंप ,जरूरतमंदों की मदद और वृद्धाश्रमों में सेवा कार्य करते हैं।
यह पहल केवल सेवा कार्य नहीं है, बल्कि यह समाज को यह संदेश देती है कि किसी प्रियजन की स्मृति को जीवित रखने का सबसे उत्तम मार्ग उनके आदर्शों का पालन करना और दूसरों की भलाई के लिए काम करना है। स्वर्गीय श्री देवकरण जी राठी का जीवन और विरासत हमें सिखाती है कि सच्ची सेवा वह है जो दूसरों के कल्याण के लिए हो। उनके आदर्श और परिवार के द्वारा की प्रयास हमें अपने जीवन में सेवा और परोपकार को स्थान देने के लिए प्रेरित करते हैं। राठी परिवार का यह कदम न केवल समाज के लिए प्रेरणा है, बल्कि मानवता के प्रति उनके समर्पण को भी दर्शाता है।