कमलेश यादव : यूं तो संस्कारधानी राजनांदगांव कई ख्यातिलब्ध समाजसेवी, खिलाड़ी, विचारक की कर्मभूमि रही है लेकिन आज हम बात करेंगे हसमुख मिलनसार और हमेशा लोगो की मदद करने वाले स्व. देवकरण जी राठी की। वे टेलीफोन विभाग में 35 वर्ष तक सेवारत रहे। स्वर्गीय देवकरण राठी ने जीवनभर जरूरतमंदों की मदद को प्राथमिकता दी। चाहे आर्थिक सहायता हो, मार्गदर्शन हो, या भावनात्मक सहारा, वे हर स्थिति में दूसरों के साथ खड़े रहते थे। उनका मानना था कि इंसान की असली पहचान उसके कर्मों से होती है, और उनके कर्म इस विचारधारा को पूरी तरह चरितार्थ करते थे।
गौरतलब है कि राजनांदगांव जिले के माहेश्वरी समाज में श्री देवकरण राठी का नाम एक मिसाल के तौर पर लिया जाता है। बीएसएनएल में ऑपरेटर के पद पर कार्यरत रहते हुए श्री देवकरण राठी जी अपनी सादगी, परोपकार और समाज सेवा के लिए मशहूर थे। उनकी सबसे उल्लेखनीय पहल उनके द्वारा लिया गया देहदान का संकल्प है, जो जिले के माहेश्वरी समाज के इतिहास में इस तरह का पहला उदाहरण था।
उनकी यह भावना केवल देहदान तक सीमित नहीं थी। अपनी नौकरी के दौरान भी उन्होंने कई लोगों की कठिन समय में मदद की। वे मानते थे कि हर व्यक्ति के पास कुछ न कुछ ऐसा होता है, जिसे वह दूसरों के साथ साझा कर सकता है। उनके विचार और कार्य उनकी निःस्वार्थ प्रवृत्ति को दर्शाते थे।
स्वर्गीय देवकरण राठी ने यह सिखाया कि जीवन का उद्देश्य केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी जीना है। उनकी यह सोच और कार्य हमें प्रेरित करते हैं कि हम भी समाज और मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और उसे निभाएँ। एक व्यक्ति का संकल्प और उसके कार्य समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आज, उनका नाम एक प्रेरणा के रूप में लिया जाता है, और उनकी सोच ने न जाने कितने दिलों में सेवा का दीप प्रज्वलित किया है।