पिता का लिवर पूरी तरह से खराब हो चुका था…डॉक्टर यह कह चुके थे कि इनके पास अधिक समय नहीं रह गया है और जल्द उनका लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा…पिता पुत्र की जिंदगी बचाने वाली प्रेरणादायी कहानी

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परिवार ही किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत होती है। सुख हो या दुख परिवार हर स्थिति में साथ निभाता है।दोस्तों आपको बता दें कि इस युवक के पिता का लिवर पूरी तरह से खराब हो चुका था। डॉक्टर यह कह चुके थे कि इनके पास अधिक समय नहीं रह गया है और जल्द से जल्द उनका लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा।

ऐसी स्थिति में इन लिवर ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की सख्त आवश्यकता थी। आपको बता दें कि इस युवक के पिता को जल्द से जल्द लिवर ट्रांसप्लांट के लिए एक डोनर की जरूरत थी। ऐसे में इस बेटे ने अपने पिता को अपने लिवर का 65 प्रतिशत हिस्सा डोनेट कर दिया। ऐसा करके इस युवक ने न केवल अपने पिता की जिंदगी बचाई बल्कि सभी का दिल भी जीत लिया है।

आपको बता दें कि इस युवक की यह कहानी इंस्टाग्राम के एक पेज पर साझा की गई है। जब इस बेटे को यह पता लगा कि उसके पिता का लिवर खराब है तो वह दंग रह गया। इनके पिता ने अपने जीवन में कभी भी शराब का सेवन नहीं किया था और न ही कभी धूम्रपान किया था। डॉक्टर का यह कहना था कि यदि इनके पिता को डोनर नहीं मिलता तो वह केवल 6 महीनों के ही मेहमान हैं।

इन सभी बातों के बीच में यह बेटा खुद को बहुत ही असहाय महसूस कर रहा था। जब यह अपने पिता से बात करने पहुँचा तब इसके पिता ने कहा कि “वह मरना नहीं चाहते हैं, और अपने बेटे को ग्रेड्यूएट होते देखना चाहते हैं।”

बता दें कि इसी दौरान कोविड की दूसरी लहर का आगमन हुआ जिसमें यह शख्स वायरस से संक्रमित हो गया और इसे कोरेन्टीन होना पड़ा। इस दौरान यह बेटा अपनी विवशता पर बहुत रोया। उसके पिता को उसकी जरूरत थी लेकिन वह ऐसी स्थिति में भी अपने पिता के पास नहीं मौजूद था।

लेकिन इसके बावजूद यह शख्स अपने पिता से वीडियो कॉल के जरिये जुड़ा रहने एवं अपने पिता को सकारात्मक रखने का प्रयास करता रहा। यह और इसके पिता एक दूसरे की हिम्मत बनकर लड़े और यह उम्मीद बनाये रखी कि एक दिन वह भी आएगा जब वह अपनी परेशानियों से उबर जाएंगे।

यह शख्स जल्दी ही कोविड को हरा कर स्वस्थ हो गए। लेकिन इनके पिता इस बार कोविड वायरस के शिकार हो गए। यह बेटा ही अपने पिता को डॉक्टर के यहाँ ले जाता था। इस बेटे ने अपनी परीक्षाओं की तैयारी अपने पिता के आस पास रहते हुए ही पूरी की और इस दौरान इसने अपने पिता को हर पल जूझते हुए देखा। वह बताते हैं कि वह अपने पिता को और इस तरह तड़पते नहीं देख सकते थे। इसलिए इन्होंने यह निर्णय लिया कि अपने पिता को लिवर डोनेट करेंगे।

वह शख्स बताते हैं कि उनका लिवर उनके पिता से मैच हो रहा था लेकिन इनका लिवर फैटी अधिक था। इसलिए इन्होंने खुद के खाने पीने का ध्यान रखना शुरू किया और व्यायाम करना भी शुरू किया। इसके बाद इनकी कुछ जाँचे की गई जिसके बाद इन्हें यह बताया गया कि यह ऑपरेशन के लिए स्वस्थ हैं। इस शख्स के पिता को बेटे के लिए बहुत चिंता थी उन्हें यह लग रहा था कि बेटे को आगे चल कर कोई समस्या हुई तो क्या होगा।

पिता का कहना यदि ऐसा हुआ तो वह खुद को माफ़ नहीं कर सकेंगे। लेकिन इस बेटे ने अपने पिता से कहा कि उनकी लड़ाई और उनका संघर्ष इनका भी संघर्ष है इसीलिए वह न अपने पिता को हारने देगें न खुद हारेंगे।

वह बताते हैं कि इस सर्जरी में इनके बचत के 20 लाख रुपए लग गए। इनके पिता और इस शख्स दोनों के जीवन पर खतरा था इसलिए वह चिंतित थे लेकिन इसके बावजूद इनके पिता सकारात्मक बने हुए थे। उनकी बातों ने इन्हें भी हिम्मत दी और यह अपना ध्यान केंद्रित कर सके।

यह बताते हैं कि जिस दिन इनके पिता और इनकी सर्जरी होनी थी उससे केवल दो दिन पहले ही इन्होंने अपने ग्रडुएशन की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की थीं और यह ग्रेड्यूएट हो गए थे। उनके पिता का कहना था कि बेटे ने उन्हें दुनिया का सबसे सुखी पिता बना दिया है।इनकी सर्जरी अच्छे से कम्प्लीट हुई और सजे बाद जब यह उठे तो डॉक्टर ने इन्हें देख कर मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने अपने पापा की जान बचा ली।” उस वक़्त इस शख्स की आंखों में खुशी के आंसू थे। इसे ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे इनसे बहुत बड़ी जंग जीत ली हो।

यह शख्स बताते हैं कि इनके पिता और इन्होंने एक दूसरे के जख्म देखे और कहा कि “यह लड़ाई हम मिल कर जीत चुके हैं।” यह बताते हैं कि सर्जरी के बाद इनके ठीक होने का सफर बहुत ही अच्छा था। इन्होंने और इनके पिता ने साथ व्हीलचेयर पर साथ में ही चलना सीखा और इस दौरान खूब लूडो भी खेला। वर्तमान में यह शख्स एवं इनके पिता दोनों ही पूरी तरह स्वस्थ हैं।

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