अक्षत रावत ने एक बुरे हादसे के बाद अपने दोनों हाथ खो दिये थे, लेकिन इसके बावजूद जो चीज उनसे कोई नहीं छीन पाया वो थी ज़िंदगी के प्रति उनकी आशा और लगातार आगे बढ़ते रहने की उम्मीद।
अक्षत ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि महज 7 साल की उम्र में उनके साथ घटी एक दुर्घटना में उनके हाथ जल गए थे, जिसके बाद गैंग्रीन नाम की बीमारी के फैलने के चलते डॉक्टरों के सुझाव पर उनके दोनों हाथ काटने पड़ गए थे, नहीं तो यह बीमारी अक्षत के पूरे शरीर में फैल सकती थी।
इस दुर्घटना के बावजूद अक्षत ने आशा नहीं खोयी और उन्होने ज़िंदगी को पूरी ज़िंदादिली के साथ अनूठे ढंग से अपनाने का इरादा कर लिया था। इस दुर्घटना के बाद अक्षत का परिवार और उनके दोस्त उनके साथ एक ठोस सहारे की तरह खड़े रहे।
कला के जरिये ढूंढा नया रास्ता
अक्षत इस दौरान अपने लिए एक खास पहचान चाह रहे थे और और इसके लिए उन्होने कला को माध्यम की तरह चुना। यूं तो अक्षत का झुकाव कला के प्रति बचपन से ही था, लेकिन इस बार परिस्थितियाँ थोड़ी सी अलग थीं, हालांकि अक्षत ने इन परिस्थितियों को उनके सामान्य रूप में ही अपनाने का मन बना लिया था। पेंटिंग के शौकीन अक्षत इसके लिए थंब सपोर्टर की मदद लेते हैं, हालांकि इस दौरान की बाकी प्रक्रिया सामान्य ही रहती है।
फिलहाल अक्षत के नाम पर एक हज़ार से अधिक पेंटिंग दर्ज़ हैं, वह आमतौर पर एक्रिलिक पेंटिंग और कंटेम्प्ररी आर्ट पर फोकस करते हैं। अपनी कलाकृतियों के साथ अक्षत कई प्रदर्शनियों में भी हिस्सा ले चुके हैं और उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रमाण पत्र भी जारी किया जा चुका है।
पेंटिंग के अलावा अक्षत सोलो ट्रैवलिंग करना बेहद पसंद करते हैं। वह पैराग्लाइडिंग और साइकिलिंग के भी शौकीन हैं। भारत के तमाम हिस्सों की यात्रा कर चुके अक्षत के अनुसार इस तरह से यात्रा करना उतना आसान तो नहीं है, लेकिन वो यात्रा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें इन अनुभवों से प्यार है। सोलो ट्रैवलिंग के दौरान अक्षत उन अनुभवों को वीडियो में कैद कर सोशल मीडिया पर शेयर भी करते रहते हैं।