आदिवासी युवक लोकेश ध्रुव,चीन में बजाया योग का डंका…बड़े सपने देखें और योग से तन और मन को स्वस्थ रखते हुए उन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें…दुनिया की कोई ताकत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती

2034

कमलेश यादव:जिसे लोग गांव कहते है वहां भी पनपती है ढ़ेरो सपने,अंकुरित होती है ऐसी आशाएं जिसकी कहानी मेहनत की बुनियाद से लिखी जाती है।लोग ताने मारा करते थे वो तो गांव का लड़का है भला वह क्या कर लेगा पर उन्हें क्या पता था यही लड़का आज चीन मे योग का डंका बजा रहा है।छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के छोटे से गांव परसाबुड़ा में रहने वाले लोकेश ध्रुव योग शिक्षक के रूप में चीन के बीजिंग शहर में अपनी सेवाएं दे रहे है।वे विदेश में रहते हुए भी छत्तीसगढ़ की माटी के ममत्व से जुड़े हुए है।

सत्यदर्शन लाइव को उन्होंने बताया कि दुनिया मे ऐसा कोई भी व्यक्ति नही है जिसने परेशानियों का सामना नही किया हो।सबके जीवन मे अपनी अपनी पॉजिटिव निगेटिव बातें होते रहती है।कुछ कर पाने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल छोटी लगने लगती है।किसान परिवार में मेरा जन्म हुआ चूंकि बचपन से योग में रुचि रहा और यही लक्ष्य मुझे हरिद्वार देवभूमि लेकर चले गया।मन मे बड़े सपने तो थे पर पढ़ाई के लिए उतने पैसे नही थे।परिवार और दोस्तो के साथ ने मुश्किल समय मे सम्हाल कर रखा।सभी के सहयोग से योग में पोस्ट ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर लिया।पढ़ाई तो हो गई अब जॉब की चिंता सताने लगी तभी मैंने कुछ दिन दिल्ली में नौकरी की वही से मुझे पता चला कि चीन में एक भारतीय इंस्टीट्यूट में योगा टीचर की वैकेंसी है अप्लाई करने के बाद सलेक्शन हो गया।

कहते है सरहदों में उतनी ताकत नही जो दो प्यार करने वालो को जुदा कर सकें।लोकेश ध्रुव हँसते हुए बताते है कि उन्हें पता ही नही चला कि कब वो इंस्टीट्यूट में आने वाली लड़की हाऊ जोग को दिल दे बैठे।आंखों से शुरू हुई कहानी शादी के मंडप तक पहुंच गई।आज उनकी दुनिया मे एक नन्ही सी प्यारी बिटिया भी है।वे कहते है कि मैंने जिंदगी में हमेशा अपनी दिल की सुनी ऐसा नही है कि मैं विदेश में रहकर अपनो को भुल गया हूँ।मेरी सांसे छत्तीसगढ़ के लिए धड़कती है मेरी सांसे भारत के लिए धड़कती है।

प्रेरणापुंज
विदेशी सरजमीं में रहने के बावजूद ॐ भूर्भवः सवः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात की मन्त्र से दिन की शरुआत होती है।योग मन और तन को संतुलन रखने का सशक्त माध्यम है।गायत्री परिवार के संस्थापक परम् पूज्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य प्रेरणा के पुंज रहे है।आज भी जब कभी मायूस होता हूँ गुरुजी के कहे वाक्य से स्वयं को चार्ज कर लेता हूँ।योग से तन तंदुरुस्त मन प्रसन्न और बुद्धि तीक्ष्ण बनती है।

 

गांव में रहने वाले लाखों युवाओं को लोकेश ध्रुव की सफलता से किस तरह गर्व की अनुभूति हुई होगी इसकी केवल कल्पना ही कि जा सकती है।वे कहते है कि भारत की खूबसूरत संस्मरण छत्तीसगढ़ की मिट्टी की सौंधी महक से स्वयं को तरोताजा महसूस करता हूँ।अब आगे वह भारत के युवाओं का मार्गदर्शन भी करना चाहते है ताकि उन्हें वैसी परेशानियों का सामना न करना पड़े जैसे शुरुआती दिनों में स्वयं को मिला है।ख़ूब सपने देखो और तन और मन को योग से स्वस्थ रखते हुए उन सपनों को पूरा करने के लिए शिद्दत से जुट जाओ दुनिया की कोई भी ताकत तुम्हे आगे बढ़ने से रोक नही सकती।सत्य दर्शन लाइव लोकेश ध्रुव के इस जज्बे को सलाम करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

(यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली या आपके पास भी है किसी व्यक्तिव की अनछुए पहलू तो हमे लिख भेजिये satyadashanlive@gmail.com या व्हाट्सएप 7587482923 कर सकते है)

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