सुमित : ‘मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, तुम्हारे पास क्या है…. मेरे पास मां है…’ फिल्म दीवार का यह डायलॉग बहुत कुछ बयां करता है. मां के जज्बे को सलाम करने के लिए ही 12 मई के दिन मदर्स डे मनाया जाता है. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं, एक मां की शानदार कहानी. उन्होंने अपनी बेटी के लिए 1-2 नहीं, बल्कि 30 लाख से ज्यादा बुक्स को इकट्ठा कर डिजिटल लाइब्रेरी तैयार की है.
बेटी के लिए मां ने बनाई डिजिटल लाइब्रेरी अरुंधति चटर्जी का कहना है एक साथ बहुत सारी किताबें नहीं रखी जा सकती. इसी को देखते हुए उन्होंने खास इनिशिएटिव लिया. उनकी बेटी फिलहाल बीसीए कर रही है. अरुंधति की लाडली यूपीएससी (UPSC) क्रैक करना चाहती हैं. अगर कोई छात्र पढ़ना चाहता है तो वो फ्री ऑफ कॉस्ट www.resourcehead.com वेबसाइट पर जाकर उनकी डिजिटल लाइब्रेरी का फायदा उठा सकता है.
सीनियर लाइब्रेरियन हैं अरुंधति चटर्जी
अरुंधति चटर्जी एक ऐसी मां है, जिन्होंने अपनी बेटी को उसकी मंजिल पाने और उसके सपने साकार करवाने के लिए दुनियाभर से खोज-खोज कर इन बुक्स को एक वेबसाइट बनाकर अपलोड किया है. पेशे से वो एक सीनियर लाइब्रेरियन रही हैं. करीब 22 सालों का लाइब्रेरी में उनका अनुभव है. फिलहाल उन्होंने नौकरी छोड़ दी है और वो अपनी बेटी देवाश्री की पढ़ाई पर अटेंशन दे रही हैं.