वैलेंटाइन डे विशेष…एक छोटी सी प्रेम कहानी प्रमोदिनी राऊल और सरोज साहू…खुद एसिड पीड़िता होने के बावजूद सैकड़ो पीड़ितों के लिए शुरू की मुहिम…वैलेंटाइन डे को पुलवामा शहीदों को समर्पित किया….

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कमलेश यादव:-दुनिया मे सबसे अमूल्य कोई चीज है तो वह है”प्यार”।उम्र के हर पड़ाव पर हमें किसी न किसी के प्यार की जरूरत होती है।बचपन से लेकर जिंदगी के आखिरी पलो तक यह एहसास हमेशा दिल के कोने में दर्ज रहता है।प्यार महज शब्द नही है जिसे शब्दो और कल्पनाओ में बांधा जाए,यह निःस्वार्थ भाव की कभी न खत्म होने वाली कहानी है।आज जिस शख्स के विषय मे हम बातें करने जा रहे है वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल है।एक छोटी सी प्रेम कहानी प्रमोदिनी राऊल और सरोज साहू जिनके लिए प्यार खुदा के इबादत से कम नही है।इसी प्रेम की ताकत से एसिड अटैक से पीड़ित लोगों के लिए मदद का सिलसिला शुरू हुआ और अब तक सैकड़ो पीड़ित लोगों के चेहरे पर मुस्कान वापस ला चुके है।

सफर की शुरुआत गांव कनकपुर जिला जगतसिंहपुर ओड़िसा से हुई।पिताजी स्वर्गीय अनन्तचरण राऊल के अनुशासन और माँ श्रीमती कविता राऊल के संघर्षों से ही  जिंदगी की पहेलियां समझ मे आई।आज भी वह दिन याद है जब 2009 में 12 कक्षा में पढ़ाई कर रही थी। दो लड़के बाइक में आकर एसिड अटैक कर दिए।2009 से लेकर 2014 तक हॉस्पिटल के बेड में पड़ी रही।

तकलीफों में भी वह दम नही जो हौसले को डिगा सके।
2014 के बाद हाथो में मूवमेंट होने लगा।फिजियोथेरेपी सेंटर में पहली मुलाकात सरोज साहू जी से हुई जो पेशे से मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के कार्य करते है।जिंदगी में फिर से आशा की किरण नजर आने लगी।मानो खोई हुई ताकत फिर से मुझे मिल गई,सरोज के रूप में।प्यार के ताकत के बल पर 4 महीने में मुझे चलने के काबिल बना दिए।2 महीने तक अपने जॉब को छोड़कर सरोज ने रात-दिन एक करके मुझे मेरे होने का एहसास दिलाया।इससे बड़ी खुशी मेरे लिए क्या हो सकती है।लोग किताबो में प्यार के  बारे में पढ़ते है पर मेरे बेजान शरीर मे यही प्यार रक्तकोशिका बनकर आज भी दौड़ रहा है।मेरी एक आंखे ऑपरेशन के बाद 18% ही दिखाई देता है।मुझे अब परवाह नही है खुद का क्योकि मेरी आँखें सरोज है आज उसी के नजरो से पूरी दुनिया देख रही हु।

2016 में छांव फाउंडेशन दिल्ली के साथ मिलकर एसिड अटैक से पीड़ित लोगों के लिए मदद की शुरुआत किये पर मुझे तो ओड़िसा के लोगो के लिए काम करना था।सोशल मीडिया के युग मे जागरूकता अभी फैल रही है पहले बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ा था।फिर मैंने अपने केस को फिर से 2017 में ओपन करवाया।धन्यवाद देना चाहूंगी मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जी का जिनके सहयोग से ही आज अपराधी सलाखों के पीछे है।आज ओड़िसा ही नही पूरे भारत मे सोशल अवेर्नेस के कार्यो में लगी हुई हु।गुड टच,बैड टच के ऊपर एक मुहिम शुरुआत किये हुए है।यह सभी काम सरोज के बगैर सम्भव नही था।परिस्थितयां चाहे जो भी हो,उन्होंने कभी मेरा हाथ नही छोड़ा।बस साथ मिलकर लोगो के मानसिकता को बदलने की कोसिस करनी है।

आज जब भी अपने अतीत को याद करती हूं तो सोच में पड़ जाती हु की ऐसे वक्त में अपने भी कैसे किनारे हो जाते है।लोग मुझे जब देखते थे डरकर भाग जाते थे।क्या इंसान को केवल उसके सुंदर चेहरे से ही जाना जाता है।आज बुरे ख्वाब की तरह सब भूल गई हूं।अभी भी लोग जिंदगी के सही मायने समझ नही रहे है।कल तक जो मुझे देखकर दूर भाग जाते थे।वही आज सेल्फी के दौड़ में है।जिंदगी की असली सुंदरता और प्यार खुद के अंदर है।

प्रमोदिनी राऊल और सरोज साहू ने अपने वैलेंटाइन डे को पुलवामा हमले में शहीद जवानों को समर्पित किये हुए है।अप्रैल में यह जोड़ी परिणय सूत्र में बंधने जा रहे है।सरोज साहू जी के अनुसार लोग कहते है एसिड पीड़िता के साथ विवाह करके बहुत बड़ा काम कर रहे हो  पर मैने तो सिर्फ प्यार किया है,जैसे और लोग करते है।प्यार तो अच्छे मन से किया जाता है एक अच्छे इंसान के साथ,जो मुझे प्रमोदिनी राऊल में दिखा।सत्यदर्शनलाइव की टीम नतमस्तक है इस प्यार के जज्बे के सामने।।।यदि आप भी इस मुहिम में शामिल होना चाहते है तो सम्पर्क मेल 77sarojsahoo@gmail.com पर कर सकते है।
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