कमलेश यादव,रायपुर:-आज वैलेंटाइन डे है, जी हां प्रेम दिवस।वैसे प्यार के लिए कोई दिन विशेष की जरूरत नही पड़ती है।प्यार तो वो भाव है,जो शब्दो को सही मायने में सही अर्थ देते है।हम बात करेंगे रायपुर के सबसे चर्चित जोड़ी शुभा-आकाश की।अब आप सभी को जिज्ञासा होगी शुभा -आकाश कौन है। राधा-कृष्ण जिनके निःस्वार्थ प्रेम की गाथा युगों युगों तक आज भी सभी के जेहन में गूंजती है।शुभा-आकाश का प्रेम भी राधा-कृष्ण की तरह पवित्र है।सामाजिक बन्धनों को तोड़ते हुए शुभा मिश्रा कनक और आकाश मनहरे परिणय सूत्र में बंध गए है।पर इतना आसान नही था प्यार को परिणाम तक पहुचाना।कई आलोचनाओं,बाधाओ को दरकिनार करके आज पूरी दुनिया को मुहब्बत का पैगाम दे रहे है।
बीते दिनों की यादे जब आकाश से पहली बार मुलाकात हुई थी।ठीक आज से 5 साल पहले मेरे भाई के मित्र के रूप में परिचय का सिलसिला शुरू हुआ।एक रात पिकनिक से लौटने के बाद मुझे आकाश का पूछना की आप अच्छे से घर पहुँच गए न और मेरा गुस्से से कहना तुम्हें क्या करना,अपने काम अपने कैरियर पर ध्यान दो बाकी बातें दिमाग से हटा दो,समझ नहीं आता आखिर तुम चाहते क्या हो? बस यही तकरार देखते-देखते कब प्यार में तब्दील हुआ पता ही नही चला।हमारी यही कोसिस रही कि दोनों परिवार भी हमारे प्यार को स्वीकार करे।पर जातिगत दिक्कते सामने आ गई।आकाश के परिवार वाले तो स्वीकृति दे ही दिए थे।पर मेरे दिल मे आज भी एक दर्द है कि कब मां-पिताजी का आशीर्वाद मुझे मिले।
मैं ब्राह्मण परिवार से हूं और आकाश की जाती सतनामी है सिर्फ जाती को लेकर मेरे-माता पिता ने साथ देने से पूर्ण रूप से इनकार कर दिया।पिता जी ने फोन पर और मैसेज में लिखकर भेजा कि तुम लौट आओ मैं एक प्रतिष्ठित परिवार में तुम्हारी शादी करवाने का वचन देता हूँ।परन्तु मेरे पिता जी से उसवक्त मैंने प्रश्न किया जब मैं रोजा रखा करती थी ,तब आपने क्यों नहीं रोका?जब गुरुद्वारे में सेवा करने जाया करती तब आपने क्यों नहीं रोका?जब चर्च जाया करती तब आपने क्यों नहीं रोका?जब कबीर पर सबसे अधिक नंबर पाया करती दिनभर उनके दोहे गाया करती तब आपने क्यों नहीं रोका?जब स्कूल में वार्षिक उत्सव के दौरान पंथी नाच किया करती तब आपने क्यों नहीं रोका?इन सभी बातों के बीच पापाजी ने बहुत कुछ समझाया भी और उनके स्थान पर वो 100% सही भी है क्योंकि वे हमसे बहुत अधिक अनुभवी हैं और उन्होंने हमसे कहीं अधिक दुनिया देखी है।परंतु पापाजी ने बचपन से कभी किसी के धर्म के खिलाफ गलत धारणा रखना नहीं सिखाया इसलिए सिर्फ जाती को लेकर आकाश जैसे व्यक्ति से दूर जाना मेरे बस में नहीं था।
एक वर्ष बीत जाने के पश्चात 21 दिसम्बर 2019 को हमने विधि-विधान से राम-मंदिर परिसर में विवाह किया जिसमें मेरी ओर से कन्यादान मेरे मामा-मामी जी ने किया,साथ ही मौसी ,भाई ,मामा ,और कुछ परिवार के सदस्यों के साथ समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल रहे।विवाह के तुरंत पश्चात हमने अपना कर्तव्य निभाते हुए देशहित में वोट डाला जिसकी सभी ने सराहना की।रात में हमने बड़ी धूम-धाम से रिशेप्शन दिया जिसमें 700 से भी अधिक व्यक्ति शांमिल होकर हमें अपना आशीर्वाद प्रदान किए…आज मैं अपने प्यार को पाकर खुश हूं कि जाति-बंधन से ऊँचे उठकर मैंने अपने प्यार को पाया।परन्तु माता-पिता से दुरी आज भी आंखों में आंसू के रूप में ठहरी हुई है।और उम्मीद है कि वे जल्द ही मान जाएंगे और हमें अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे..
आकाश की सबसे अच्छी आदत जो मुझे पसंद है वो है उनका हर स्त्री को अच्छी नज़र से देंखना और उनकी इज्जत करना।वो एक अच्छे दोस्त,भाई,और बेटे हैं यही देखकर मुझे लगा जो अपने परिवार से इतना प्यार करता है वो मुझसे कितना प्यार करेंगे।शुभा मिश्रा कनक बेहद प्रतिभाशाली होने के साथ समाज के ताना-बाना से कोसो दूर है।पर भरोसा है ईश्वर के ऊपर जो सब कुछ देख रहा है।वह दिन दूर नही जब मां-पिताजी का आशीर्वाद मिले।