युवा कलमकार मुस्कुराता बस्तर की कविता….ये बाबू लाकडाउन है,,जरा संभल के

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ये बाबू लाकडाउन है,
जरा संभल के,
सैनेटाइज हो,मास्क लगा,
तभी बेहतर कल है ।

प्रकृति से की छेड़खानी,
फिर करता रहा मनमानी,
तेरे आबरू में भी तो दलदल है,
चल,, जा
सैनेटाइज हो,मास्क लगा,
तभी बेहतर कल है ।

मुंह छिपाना पड़ रहा है,
प्रकृति से मानव डर रहा है।
तू तो,,,,
ना पेड़,ना पौधा लगायेगा,
सांस क्या आनलाइन मंगायेगा।
यह क्या मिराकल है।
ओए,,,,, आ
सैनेटाइज हो,मास्क लगा,
तभी बेहतर कल है,

प्रकृति का संरक्षण कर,
सावधानी बरत,सजग हो।
पेड़ लगा पानी दे,
संतुलन बना,
फिर मुंह दिखा सांस ले,
कांफीडेंस बढ़ा,
प्रकृति है,
क्या समझा गुगल है?
अब तो,
सैनेटाइज हो,मास्क लगा,
तभी बेहतर कल है।

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