सूर्योदय से पहले उठने के बाद नियमित दिनचर्या के साथ आधा घंटा योग अवश्य करें…दिनचर्या में बदलाव नहीं,उसे सुव्यवस्थित करने की जरूरत

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126 साल की उम्र में पद्मश्री सम्मान पाने वाले काशी के बाबा शिवानंद पूरी तरह से स्वस्त्थ हैं और नियमित दिनचर्या का सख्ती से पालन करते हैं। उनकी फुर्ती ऐसी कि देखने वाले दंग रह जाएं। वाराणसी के दुर्गाकुंड इलाके में स्थित आश्रम में तीसरी मंजिल पर स्थित कमरे में निवास करने वाले बाबा शिवानंद दिन में तीन से चार बार बिना किसी सहारे के सीढ़ियां चढ़ते और उतरते हैं।

योग का महत्व समझना हो तो वाराणसी आएं और बाबा शिवानंद से मिलें। 126 साल की उम्र में भी पद्मश्री बाबा शिवानंद अपने सारे काम खुद करते हैं। स्वस्थ हैं और नियमित दिनचर्या का सख्ती से पालन करते हैं। बाबा शिवानंद की इतनी लंबी उम्र और अच्छी सेहत का श्रेय जाता है योग को। सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ने वाले बाबा ने अपने जीवन का एक सदी से ज्यादा समय योग को दिया है।

वाराणसी के कबीरनगर में वन बीएचके फ्लैट में रहने वाले बाबा शिवानंद का कहना है कि योग के जरिये इच्छाओं पर नियंत्रण की ताकत मिलती है। खुशहाल जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है। बाल्यकाल से ही योग को अंगीकार करने वाले 126 वर्ष के स्वामी शिवानंद पूरी दुनिया में योग के ब्रांड एंबेसडर की तरह हैं। हाल ही में इन्हें पद्मश्री से विभूषित किया गया है।

प्रश्न- योग आपके जीवन में कैसे आया? आप कितनी देर योग करते हैं? योग को लेकर भ्रांतियां भी हैं?
उत्तर- योग के साथ ही नियमित दिनचर्या का पालन बहुत जरूरी है। 126 वर्ष की उम्र में भी नियमित रूप से आधा घंटा योग करता हूं। पहले तीन घंटे और फिर उम्र बढ़ने के बाद दो घंटे योग करता रहा। मेरा मानना है कि जीवन में स्वस्थ रहने के लिए सभी को योग करना चाहिए। छह घंटे की नींद लेनी चाहिए। कम भोजन करना चाहिए, यह आप को स्वस्थ रखने में बड़ा योगदान देता है। योग का मतलब जोड़ना है तो इसे लेकर भ्रांति का सवाल ही नहीं है। सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए कोई भी योग कर सकता है।

प्रश्न- योग का कोई नुकसान भी है? इसके फायदे क्या हैं?
उत्तर- यदि आप अपनी खत्म न होने वाली इच्छाओं को नियंत्रित कर लेंगे तो आपका जीवन सुखमय हो जाएगा। यह योग के जरिये ही संभव हो सकता है। योग से नुकसान का तो सवाल ही नहीं है। जीवन को सुखमय बनाने में योग की भूमिका बेहद अहम है। इसलिए मेरा मूलमंत्र सिर्फ और सिर्फ योग है। योग के जरिये इच्छाओं पर नियंत्रण होता है। तनाव भरे इस दौर में हर कोई कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं को लेकर चल रहा है। इसकी वजह से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न- योग क्या किसी खास धर्म से जुड़ा है?
उत्तर- योग से धर्म और जाति का कोई मतलब ही नहीं है। धर्म और अन्य बातें तभी मायने रखतीं हैं, जब इंसान स्वस्थ रहता है। मैं सिर्फ और सिर्फ पूरे विश्व को स्वस्थ और फिट रहने का मंत्र देना चाहता हूं। धर्म और यह सब बातें मुझे समझ में नहीं आतीं। योग करने से हर धर्म, हर संप्रदाय के लोग स्वस्थ रहते हैं। योग स्वस्थ रहने का सबसे उत्तम माध्यम है और आज के दौर में योग हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न- आप 126 साल की उम्र में भी इतने फिट कैसे हैं?
उत्तर- देखिए मैं बनारस आश्रम की दूसरी मंजिल पर रहता हूं और हर दिन चार से छह बार सीढ़ियां चढ़ता, उतरता हूं। सुबह आधे घंटे और शाम को थोड़ी देर योग से ही ऊर्जा मिलती है। योग व अपनी नियमित दिनचर्या की वजह से आज भी स्वस्थ हूं। हाल ही में देश के कुछ बड़े निजी अस्पतालों की तरफ से फुल बॉडी चेकअप भी किया गया था, जिसमें किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं मिली है। कोरोना के टीके को लेकर लोगों के मन में डर था, मगर मैंने सबसे पहले टीका लगवाया। टीका लगवाने के साथ योग करते रहने से आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है।

प्रश्न- योग के लिए दिनचर्या में क्या कोई बदलाव करना पड़ता है? आप क्या सलाह देना चाहेंगे?
उत्तर- सबसे पहले मैं कहना चाहूंगा कि नो ऑयल, ओनली बॉयल का मंत्र जीवन में उतारें। दिनचर्या में बदलाव नहीं, उसे सुव्यवस्थित करना पड़ता है। मैंने 126 साल की उम्र में भी अपनी दिनचर्या में बदलाव नहीं किया। सूर्योदय से पहले उठने के बाद नियमित दिनचर्या के साथ आधा घंटा योग अवश्य करें। हल्का भोजन लें। छह घंटे की नींद भी बहुत जरूरी है। आज की लाइफ स्टाइल है, रात में देर से सोना और सुबह देर से उठना। यह सही नहीं है। ज्यादा तेल मसाले का भोजन लोगों की समस्याओं को बढ़ाने वाला है। इससे बचें।

प्रश्न- आपकी दिनचर्या क्या है? योग से कैसे आम आदमी अपनी जीवन शैली में बदलाव ला सकता है?
उत्तर- सुबह नियमित दिनचर्या के ठीक बाद आधा घंटा योग करता हूं। पूजा पाठ करने के बाद सुबह गर्म पानी पीता हूं। हल्के भोजन के बाद पूरे दिन काम करता हूं और शाम को थोड़ी देर फिर योग को समय देने के बाद उबला हुआ भोजन ग्रहण करता हूं। योग के जरिये व्यक्ति तनावमुक्त और दीर्घायु जीवन पा सकता है। इसके लिए दिनचर्या का पालन बेहद जरूरी है। मैंने बचपन से ही कुछ बुनियादी नियम अपनाए हैं। सबसे ऊपर मसालों से परहेज है। एकदम शुद्ध सात्विक उबली हुई चीजों का ही सेवन करता हूं। सोने के लिए गद्दे और पारंपरिक तकिये का इस्तेमाल नहीं करता हूं। जल्दी सो कर जल्दी उठने की आदत ही आपके जीवन को बेहतर बनाती है।

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