
प्लास्टिक मुक्त बालोद: समाजसेवी राजेश सिन्हा की अनोखी पहल से बदल रहा है पर्यावरण का भविष्य…एक बर्तन बैंक से शुरुआत, 22 गांवों तक की प्रेरणा
कमलेश यादव : बालोद जिले के गुण्डरदेही ब्लॉक के सिर्राभांठा निवासी समाजसेवी राजेश सिन्हा ने पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में अनूठी मिसाल कायम की है। 2019 में अपने गांव में बर्तन बैंक की स्थापना करते हुए उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। आज, उनकी यह छोटी-सी पहल 22 गांवों तक पहुंच चुकी है, जहां उन्होंने अपनी निजी आय से 200 स्टील की थालियां और गिलास प्रत्येक गांव को दान किए हैं।
शपथ पत्र से बढ़ा रहे हैं जागरूकता
राजेश सिन्हा इस मुहिम को केवल दान तक सीमित नहीं रखते। जिन संगठनों और पंचायतों को वे बर्तन दान करते हैं, उनसे शपथ पत्र भरवाते हैं, जिसमें यह वादा किया जाता है कि वे डिस्पोजल, पत्तल और प्लास्टिक से बने सामान का उपयोग नहीं करेंगे। यह पहल केवल पर्यावरण को बचाने का कार्य नहीं है, बल्कि लोगों को व्यक्तिगत और सामुदायिक जिम्मेदारी का एहसास भी कराती है।
गांव-गांव से उठ रही स्वच्छता की अलख
गांव जैसे चीचा, गोरकापार, नवागांव, भिलाई, परसोदा, मनकी और सतमरा ने इस पहल को स्वीकार कर इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया है। ग्रामीणों ने छोटे से बड़े आयोजनों में सिंगल-यूज प्लास्टिक का बहिष्कार करते हुए स्टील बर्तनों का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
“धरती को समृद्ध बनाएं, आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखें”
राजेश सिन्हा का संदेश है कि मिट्टी, भोजन और स्वास्थ्य का गहरा रिश्ता है। प्लास्टिक का बहिष्कार कर हम न केवल पर्यावरण बचा सकते हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण भी दे सकते हैं।
समाज को सशक्त बनाने की दिशा में प्रेरणादायक कदम
उनकी इस पहल ने न केवल बालोद में, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नई सोच को जन्म दिया है। उनकी प्रेरणा से कई अन्य समाजसेवी और संगठन भी बर्तन बैंक की शुरुआत कर रहे हैं।
सामूहिक प्रयास से बन रहा है आदर्श जिला
राजेश सिन्हा की इस मुहिम का लक्ष्य है बालोद को प्लास्टिक मुक्त आदर्श जिला घोषित करना। यह पहल दिखाती है कि जब समाज मिलकर कार्य करता है, तो बड़े बदलाव संभव हैं।
अविस्मरणीय योगदान
राजेश सिन्हा का यह प्रयास पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका संदेश है:“धरती माता को बंजर बनाने वाली वस्तुओं का बहिष्कार करें और अपने गांव को स्वच्छ और सुंदर बनाएं।”