Positive story चाय से क्रिकेट तक का सफर….सहवाग ,द्रविड़,कपिल से सीखा खेल का गुर… जुनून ऐसा की आर्थिक दिक्कत भी आड़े नही आया..*मुंगेली के जलेश यादव*… लड़कियों को फ्री में क्रिकेट की बारीकियां सीखा रहे।

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मुंगेली:-जहा चाह होती है वहा रास्ते खुद ब खुद बन जाते है बस जरूरत है एक छोटे से सपने की।छत्तीसगढ़ की माटी में प्रतिभावान लोगो की कमी नही है जरूरत है सही दिशा और मार्गदर्शन की।ऐसा ही एक सपना देखने की जिद की कहानी है ।नाम जलेश यादव,पेशे से चाय बेचते है।जिला मुंगेली में छोटी सी चाय की टिपरी में एक बड़ा ख्वाब लिए युवा जलेश यादव आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बने हुए है।

मुंबई में लिया प्रशिक्षण
भारतीय टीम में खेलने की चाह में जलेश मुंबई पहुच गया।बड़े शहर में खुद को साबित करने के लिए नेशनल क्रिकेट अकादमी में खेलना शुरू किए।।जहा से श्रीलंका (कोलंबो),नेपाल (चितवन)उत्तरप्रदेश (गोरखपुर),जम्मू कश्मीर(श्री नगर) गोवा(पंजिम) में अपने प्रदर्शन के बदौलत गेंदबाजी से अपनी एक अलग पहचान स्थापित किए है।

मार्गदर्शन और प्रेरणा
माता-पिताजी ने शुरुआत से ही काफी उत्साहवर्धन किये है।नेशनल क्रिकेट क्लब के कोच सुधीर नायक जी(पूर्व टेस्ट क्रिकेटर) ने बेहतर मार्गदर्शन दिए है।।।इस क्लब में जाहिर खान,वसीम जाफर जैसे खिलाड़ी प्रशिक्षित होकर ऊंचाइयों तक पहुचे है।

मुंगेली वापसी
परिवार की स्तिथि को देखते हुए फिर से मुंगेली वापस आना हुआ।जिसके लिए क्रिकेट एक मंदिर हो वो भला कैसे चुप बैठे रह सकता है।अपने अधूरे ख्वाब को छोटे बच्चों की आंखों में देखना शुरू किया।और लड़कियों के प्रशिक्षण के लिए सन राइस क्रिकेट सोसायटी का स्थापना किये है।यहा प्रशिक्षण पूर्णतः निःशुल्क है।कई छात्राए देश के विभिन्न हिस्सों में अपना प्रदर्शन दिखा चुके है।

लोगो का मिला साथ
एकेडमी की उपलब्धियों को देखते हुए स्थानीय लोगो के साथ प्रशासन भी सहयोग करना शुरू किए है।चाय की दुकान के साथ एकेडमी में भी अपना समय छात्राओं को प्रशिक्षण के लिए देते है।छात्राओं को आगे लाना निःसन्देह इस एकेडमी की बहुत बड़ी उपलब्धि है।

चुनाव में बने डिस्ट्रिक्ट आइकन
मुंगेली जिले के जिला निर्वाचन आयोग द्वारा2019-20 के लिए फ़ोटोयुक्त नामावलियों में पात्र मतदाताओं का नाम जोड़ने काटने संशोधन हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट आइकन नियुक्त किया गया है।

खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन बहुत जरूरी है खासकर वह, जो अपनी बुनियादी जरूरतों से लड़ते हुए अपनी खुद की सोसायटी बनाकर निःशुल्क प्रशिक्षण बालिकाओं को दे रहे है।साथ ही हमे यह भी देखना है कि खेल के जरूरी संसाधन की कोई कमी न हो ताकि प्रशिक्षण सुचारू रूप से  चलता रहे।।ऐसे कोच को satyadarshanlive की पूरी टीम सैल्यूट करता है।

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