
विश्व रेडियो दिवस:तकनीक के युग में भी रेडियो सुनने का गजब उत्साह…हम रेडियो के श्रोता तब से है जब शाम को लकड़ी के पोल पर ऊंचा बांध कर नीचे जमीन पर बैठ कर गांव वाले शांति से रेडियो सुना करते थे…मोहनलाल देवांगन
कमलेश यादव:आज विश्व रेडियो दिवस है। तकनीक के इस युग में जब मनोरंजन के बहुत से साधन हमारी पहुंच में है। ऐसे में गांवों में आज भी रेडियो सुनने का पूरा उत्साह है। हालांकि रेडियो सुनने वाले हरेक उम्र के लोग मिल जाएंगे।कुछ लोग तो ऐसे हैं जो रेडियो को दोस्त की तरह साथ रखते हैं।छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाले मोहनलाल देवांगन,रेडियो की दीवानगी ऐसा 100 से अधिक पुराने रेडियो के साथ 10000 पत्रों का अदभुत संग्रहालय है।प्रतिदिन कई पत्र विभिन्न आकाशवाणी केंद्रों को लिखते है।वे टेलरिंग व्यवसाय से जुड़े हुए है कटोरा तालाब रायपुर में न्यु मोहन टेलर नाम से उनका स्वयं का दुकान है।उन्होंने सत्यदर्शन लाइव को हंसते हुए बताया कि हम रेडियो के श्रोता तब से है जब शाम को लकड़ी के पोल पर ऊंचा बांध कर नीचे जमीन पर बैठ कर गांव वाले शांति से रेडियो सुना करते थे।गीतों की फरमाइश, किसान चौपाल आदि कार्यक्रम प्रिय रहे हैं, लोग घर से लेकर खेत तक रेडियो का प्रसारण सुनते थे, लोगों को सरकार की योजनाओं का इसी से पता चलता था।