विश्व आदिवासी दिवस…आदिवासी होने का तात्पर्य है जड़ो से जुड़कर रहना…आदिवासी जीवनशैली बेहद सरल और सहज होती है…प्रकृति से उतना ही माँगते हैं, जितने की जरूरत है.. और प्रकृति भी.. हजार दिक्कतों के बाद भी,हमेशा कुछ न कुछ बचाकर रखती है

चंद्र प्रकाश यादव:आज विश्व आदिवासी दिवस है।आदिवासी होने का तात्पर्य है जड़ो से जुड़कर रहना।आदिवासी जीवनशैली बेहद सरल और सहज होती है। प्रकृति से चोली दामन का साथ है, या फिर यह कह लें… एक माँ और उसके संतान जैसा Iआदिवासी प्रकृति से उतना ही माँगते हैं, जितने की जरूरत है। और प्रकृति भी.. हजार दिक्कतों के बाद भी,हमेशा कुछ न कुछ बचाकर रखती है… हर मौसम में,जरूरत के दिनों के लिए।आइये जानते है विश्व आदिवासी दिवस क्यो मनाया जाता है।

विश्व के लगभग 90 से अधिक देशों मे आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। दुनियाभर में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है, जिसमें लगभग 5000 अलग–अलग आदिवासी समुदाय है और इनकी लगभग 7 हजार भाषाएं हैं। इसके बावजूद आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आज दुनियाभर में नस्लभेद, रंगभेद, उदारीकरण जैसे कई कारणों की वजह से आदिवासी समुदाय के लोग अपना अस्तित्व और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

यही कारण है कि आदिवासी समाज के उत्थान और उनकी संस्कृति व सम्मान को बचाने के अलावा आदिवासी जनजाति को बढ़ावा देने व उनको प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के तौर पर मनाया जाता है।

इस दिन दुनियाभर में संयुक्त राष्ट्र और कई देशों की सरकारी संस्थानों के साथ-साथ आदिवासी समुदाय के लोग, आदिवासी संगठन सामूहिक समारोह का आयोजन करते हैं। इन कार्यक्रमों में विविध परिचर्चा और संगीत कार्यक्रम के अलावा अलग-अलग तरह के जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं।

कब से मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस?
आपको बता दें कि पहली बार अमरीका में 1994 में आदिवासी दिवस मनाया गया था। इसके बाद से पूरे विश्व में 9 अगस्त को आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था

वहीं, 1995-2004 को पहला अंतर्राष्ट्रीय दशक घोषित किया गया था। इसके बाद UN ने वर्ष 2004 में “ए डिसैड फ़ॉर एक्शन एंड डिग्निटी” की थीम के साथ, 2005-2015 को दूसरे अंतर्राष्ट्रीय दशक की घोषणा किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 दिसंबर 1994 के संकल्प 49/214 द्वारा प्रतिवर्ष 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाए जाने का ऐलान किया। इसके बाद पहली बार पूरे विश्व में 9 अगस्त 1995 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया गया।

9 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है?
आपको बता दें कि विश्व आदिवासी दिवस मनाए जाने में अमरीका के आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है। चूंकि अमरीकी देशों में 12 अक्टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है। आदिवासियों का मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके लिए बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ था। लिहाजा, आदिवासियों ने मांग की कि अब कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाया जाए।

1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया , जहां पर कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाये जाने की मांग की गई | इसके बाद लगातार संघर्ष बढ़ता गया और फिर आदिवासी समुदाय ने 1989 से आदिवासी दिवस मनाना शुरू कर दिया गया। आगे जनसमर्थन मिलता गया और फिर 12 अक्टूबर 1992 को अमरीकी देशों में कोलंबस दिवस के स्थान पर आदिवासी दिवस मनाने की प्रथा शुरू हो गई।

बाद में संयुक्त राष्ट्र ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यदल का गठन किया, जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को जेनेवा में हुई थी। इसी बैठक के स्मरण में 9 अगस्त की तारीख घोषित की गई।


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