नवाचारी किसान एनेश्वर वर्मा कहते हैं कि धरती मेरी मां है और लहलहाती फसलें उसका वरदान…आत्मनिर्भर बनने की उनकी कहानी आपको प्रोत्साहित करेगी,साहस देगी और निराशा में कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी

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कमलेश यादव : छत्तीसगढ़ की धरती किसानों की मेहनत से समृद्ध हुई है, इसीलिए इसे “धान का कटोरा” कहा जाता है।यहां की माटी की असली खुशबू यहां के माटी पुत्रों की गौरव गाथा से आती है। आज हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के एक छोटे से गांव पारागांव खुर्द (डोंगरगढ़) में रहने वाले  नवाचारी किसान एनेश्वर वर्मा के बारे में, जिन्हें उनकी आधुनिक खेती के कारण छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा साल 2020 में  “कृषि रत्न पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।सादगी, शालीनता और ईमानदार व्यक्तित्व के धनी एनेश्वर वर्मा का जीवन कृषि क्षेत्र के लिए नये दृष्टिकोण और प्राथमिकताएँ तय कर रहा है।

सत्यदर्शन लाइव को उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती धान,चना,गेंहू के अलावा सब्जियों में टमाटर ,मिर्च,खीरा, फलों में आम,अमरूद, नींबू,चीकू का फसल लगाए हुए हैं।ड्राई एरिया होने के कारण पानी की समस्या है लेकिन उन्होंने इसके लिए विशेष प्रबंधन भी की है, जिससे सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित होती है।समय-समय पर मौसम और बाजार की मांग के आधार पर विभिन्न प्रकार की लाभकारी खेती की जाती है।

एनेश्वर वर्मा का खेत किसी प्रयोगशाला से कम नहीं है, आए दिन यहाँ पर किसानों के साथ कृषि वैज्ञानिक तक नई जानकारियाँ लेने आते रहते हैं। आज अपने ज़िले ही नहीं पूरे प्रदेश में इनकी पहचान प्रगतिशील किसान के रूप में है।

कठिनाइयों से परे सोचना
एनेश्वर वर्मा जी ने बताया कि पहले यहां की जमीन बंजर थी, इसे उपजाऊ बनाने के लिए मेरे दादा और पिता जी ने अथक मेहनत की है.  मैंने उनसे सीखा है कि किसान हारता नहीं है,बल्कि समस्याओं को अवसर में बदल देता है। उनकी प्रेरणा मुझे हमेशा सिखाती है कि खेती में सफलता न केवल बुद्धिमत्ता और उद्यमशीलता में निहित है,बल्कि सहजता और सहिष्णुता में भी है।

क्या आप जानते हैं कि “प्रधानमंत्री फसल बीमा” योजना के तहत पोस्टर में जिस युवा किसान की मुस्कुराती हुई तस्वीर साझा की गई है, वह एनेश्वर वर्मा जी हैं।सरकार द्वारा इसे पूरे भारत में विभिन्न भाषाओं में प्रचारित किया गया।

युवाओं को संदेश
कृषि का क्षेत्र व्यापक एवं अपार संभावनाओं से भरा है। आज वास्तव में जरूरत, खेती की नहीं बल्कि सही प्रकार की खेती की है।यकीन मानिए सबकी सेहत का राज “किसान” के हाथ में है।अधिक उत्पादन की होड़ में हम खेती के प्राकृतिक गुणों को नष्ट कर रहे हैं। मेरा मानना ​​है कि युवाओं को इसमें आगे आकर कुछ नया करना चाहिए।मैं किसानों से यह भी कहना चाहूंगा कि खेती के इस क्षेत्र में कोई शॉर्ट कट नहीं है। उचित समय और धैर्य से ही आपको सफलता मिलेगी.

उद्देश्य
खेती मेरे लिए कोई व्यवसाय नहीं हैं. मिट्टी मेरी माँ है और लहलहाती फसलें उसका दिया हुआ वरदान। मैं सुबह उठते ही सबसे पहले अपनी धरती मां को प्रणाम करता हूं। हम सभी किसान मिलकर जैविक खेती की ओर बढ़ें इसकी तैयारी चल रही है।”पर ड्राप मोर क्राप्ट” के श्लोगन के तहत पानी के महत्व को भी समझना जरूरी हैं।नवीनतम तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान के संयोजन से बहुत कुछ बदला जा सकता है।

पशुपालन और खेती एक दूसरे के पूरक हैं, इसीलिए हमने अपने फार्म में गायें भी रखी हैं ताकि खाद बनाने के लिए हमें बाहर पर निर्भर न रहना पड़े.एनेश्वर वर्मा

5 लेयर खेती में प्रयोग
इस तकनीक के बारे में एनेश्वर वर्मा ने बताया कि यह वर्टिकल खेती है, जिसमें एक ही जगह पर दो-तीन-पांच फसलें एक साथ उगाई जाती हैं.  वह आगे कहते हैं, कंद जमीन के अंदर उगाए जाते हैं, सब्जियां थोड़ी ऊपर उगाई जाती हैं और उसके ऊपर बेलें उगाई जाती हैं।चीकू वाली किस्म (4 फीट), ठीक ऊपर 5 परत में आम जो दीर्घकालिक परियोजनाएं हैं।

पुरस्कार और प्रशिक्षण

आज भी देश की अधिकांश आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। खेती पर निर्भर इस बहुसंख्यक आबादी को हम किसान के रूप में जानते हैं। वही किसान जो देश के करोड़ों लोगों का पेट भरने का काम करता है. एनेश्वर.वर्मा जैसे नवाचारी किसान का जीवन नए दृष्टिकोण, और समृद्धि की ऊँचाइयों तक पहुंचने की प्रेरणा देता हैं।सत्यदर्शन लाइव इस इनोवेटिव कृषक के काम की सराहना करता है।

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