छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में रहने वाले युवा उद्यमी जीतेंद्र वर्मा, साउथ अफ्रीकी बोअर नस्ल की बकरियों के व्यवसाय से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं…”पूजा बोअर बकरी फार्म” की प्रेरक सफलता की कहानी

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कमलेश यादव: परिस्थितियां कैसी भी हों, कुछ नया करना है और ऐसे ही जीवन नहीं बिताना है।यह कहना हैं छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के एक छोटे से गांव सिंघौरी (जालबांधा) में रहने वाले युवा उद्यमी जीतेंद्र वर्मा की।पिता मजदूरी करते थे. जब भी वह उसे काम करते देखता था तो उसके मन में एक ही ख्याल आता,कि इस गरीबी से कैसे बाहर निकला जाए। उन्होंने इस विचार पर काम करना शुरू किया कि “अभाव को प्रभाव” में कैसे बदला जाए।जिंदगी बदलने वाली मिशन के तहत उन्होंने साल 2018 में “पूजा बोअर गोट फार्म” ( POOJA BOER GOAT FARM ) स्थापित कर सिर्फ 4 साउथ अफ्रीकी बोअर बकरियों के साथ कारोबार शुरू किया और वर्तमान में 80 बकरियों के साथ सालाना 10 से 15 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.  साथ ही देश-विदेश से लोग उनके फार्म को देखने आते हैं।

सत्यदर्शन लाइव से बात करते हुए युवा उद्यमी जीतेंद्र वर्मा ने बताया कि उन्हें ये बिजनेस आइडिया यूट्यूब से मिला. काम शुरू करने से पहले वह देश के कुछ मशहूर उद्यमियों से मिलने गये। महाराष्ट्र से 4 साउथ अफ़्रीकी बोअर बकरियों के साथ आये और व्यवसाय शुरू किया।वे कहते हैं कि,चूँकि शुरुआत में मुझे अनुभव कम था इसलिए मैंने धीरे-धीरे काम सीखना शुरू कर दिया। नुकसान भी उठाना पड़ा लेकिन हिम्मत नहीं हारी। लगातार तीन साल तक मुझे कोई खास मुनाफ़ा नहीं हुआ, फिर भी मैं दृढ़ रहा। परिणामस्वरूप, मैं पिछले दो वर्षों से लाभ की ओर बढ़ रहा हूं।

देश-विदेश से लोग मिलने आते हैं
किसी ने सच ही कहा है कि दुनिया आपके काम को तभी सलाम करती है जब उसकी प्रामाणिकता साबित हो जाए। हर जानवर की देखभाल पूरी तरह से वैज्ञानिक तकनीक से की जाती है।वे बकरियों की चारे (आहार) के लिए विशेष प्रकार की घास भी उगाते हैं।  इस नस्ल की बकरियों की मांग बहुत ज्यादा है.  उन्होंने ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बेचा है। विदेशों से भी लोग जानकारी लेने आये।

प्रेरणा
किसी भी कार्य को करने के लिए हमें एक ऐसी ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो हमें सदैव प्रेरित करती रहे।मेरी जीवनसंगिनी ‘टूमेश्वरी वर्मा’ ने सदैव साये की तरह मेरा साथ दिया है।दरअसल, मेरी असली ताकत मेरी पत्नी है।’ अगर वह नहीं होती तो मैं बहुत पहले ही टूट चुका होता।’ उसने मुझे जिंदगी के हर मोड़ पर सम्हाले रखा. आज मैं बहुत खुश हूं कि हम खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।’हम दोनो मिलकर इस बिजनेस को नई दिशा दे रहे हैं।’  .

इस नस्ल के व्यापार करने वाले छत्तीसगढ़ के प्रथम व्यक्ति
उन्होंने बताया कि पारिवारिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी, मैंने सिर्फ काम को महत्व दिया क्योंकि बदलाव यहीं से आ सकता था.. वह छत्तीसगढ़ के पहले उद्यमी हैं जिन्होंने इस नस्ल की बकरियों का पालन कर सफलता का नया कीर्तिमान रचा है।

उद्देश्य
मैं जानता हूं कि मेरी मंजिल खुले आसमान में है।  इसकी डिमांड इतनी ज्यादा है कि मैं दिन-ब-दिन तरक्की की नई इबारत लिख रहा हूं।  काम को बड़ा करना है, हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार से मुझे किसी तरह का सहयोग नहीं मिल सका है.. कुछ दिनों बाद यहां से बकरियों को दक्षिण अफ्रीका और नेपाल जैसे देशों में भेजने की तैयारी की जा रही है.

युवाओं को संदेश
जब मैं अधिकांश युवाओं को नौकरियों के पीछे भागते देखता हूं, तो मुझे लगता है कि व्यापार जगत एक बहुत खुला निमंत्रण है।दृढ़ संकल्प, जुनून और तकनीक के संयोजन से किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है।  छोटी-छोटी शुरुआत और निरंतर प्रयास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।  कृषि एवं पशुपालन बेहतर विकल्प हो सकते हैं।  हमें आत्मनिर्भर बनने का मार्ग अपनाना होगा।

युवा उद्यमी जीतेंद्र वर्मा ने अपने गांव में बकरी पालन की एक नई परियोजना शुरू की। उन्होंने बकरी पालन को आधुनिक तकनीकों के साथ स्थिरता और नवाचार के साथ जोड़कर एक मजबूत व्यवसाय बनाया। इस कार्य क्षेत्र ने न केवल उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता दी, बल्कि उनके प्रयासों से गाँव के लोगों को रोजगार के नये साधन भी उपलब्ध हुए।  सत्यदर्शन लाइव इस इनोवेटिव युवा के काम की सराहना करता है।

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