शख्सियत…साइकिल की दुकान से शुरू हुआ सफर पार्षद,पत्रकार,विधायक और राज्य मंत्री तक पहुंचा…कड़ी मेहनत,लगन और दूसरों की सेवा करने की सच्ची चाहत को बना लिया जीवन मंत्र…लोगों ने उन्हें नाम दिया काका…पढ़ें प्रेरणादायक कहानी

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कमलेश यादव : संस्कारधानी राजनांदगांव जिसकी आबो हवा में है रूहानियत अहसास यहां की धरती ने कला साहित्य से लेकर राजनीति तक एक से बढ़कर एक शख्सियतों को जन्म दिया है।आज हम बात करेंगे अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री श्री लीलाराम भोजवानी के बारे में जिन्होंने कड़ी मेहनत, दृढ़ता और दूसरों की सेवा करने की सच्ची इच्छा को जिंदगी का मूलमंत्र बनाया।एक साधारण साइकिल की दुकान से मंत्री बनने तक की उनकी यात्रा ने कई अन्य लोगों को अपने सपनों का पीछे करने के लिए प्रेरित किया हैं।

सत्यदर्शन लाइव से श्री लीलाराम भोजवानी ने अपनी जीवनयात्रा की खट्टी मीठी यादों को साझा किया है ।वे 85 वर्ष के हो गए है लेकिन बचपन की यादें आज भी उन्हें तरोताजा कर देती हैं।स्कूल से लौटने के बाद वो रोजाना साइकिल की दुकान पर अपने पिता स्व. मोटूमल भोजवानी के पास पहुंच जाते थे।हर दिन उन्हें काम करते देखने के बाद,वह दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के बारे में मूल्यवान सबक सीखते थे।

जीवन की गाड़ी चल ही रही थी कि उन्हीं दिनों उनकी मुलाकात पंडित शिव कुमार शास्त्री से हुई। उनकी राष्ट्रवाद की विचारधारा ने मुझे प्रभावित किया और जनसंघ से जुड़ गया।उनकी शिक्षा है कि एकता और सहयोग की भावना एक मजबूत और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकती है।मुझे आज भी 1965 का वाक्या याद है,उस समय राजनांदगांव जिला तहसील हुआ करता था।पार्षद का चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके। मैंने 5 साल बाद दोबारा कोशिश की और लोगों का आशीर्वाद मिला।

समाजसेवा और लोगों की मदद करने के जुनून ने मुझे पार्षद से पत्रकारिता में पहुंचा दिया। 1975 से 1990 तक एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में संवाददाता के रूप में कार्य किया।जमीनी स्तर पर लोगों की समस्याओं को जानने-समझने का मौका मिला।लोगों के बीच संपर्क,व्यवहार और विश्वास कायम करते-करते समय दिन-ब-दिन बीतता गया।भोजवानी जी के सत्य के प्रति समर्पण और बेजुबानों को आवाज देने की उनकी क्षमता ने उन्हें शहरवासियों से बहुत सम्मान और प्रशंसा दिलाई।

वे कहते हैं कि एक पत्रकार के रूप में उन्होंने जो कौशल हासिल किया था,वह राजनीतिक सफर में उनके बहुत काम आया।1990 में विधायक चुने जाने के बाद क्षेत्र की जनता ने 1998 में मुझे दोबारा चुना और सेवा का मौका दिया। मुझे मध्य प्रदेश शासन में श्रम विभाग के राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा गया।एक मंत्री के रूप में,भोजवानी जी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ उनका सामना किया।

भोजवानी जी हमें आशा भरी नजरों से देखते हुए कहते हैं कि हम साधारण जीवन जीने वाले लोग हैं, पार्षद से शुरू हुआ सफर हमें बड़े-बड़े राजनीतिक पदों तक ले गया। इसका कारण केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित करना और लोगों की सेवा के बारे में सोचना था।हम सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सबसे पहले राष्ट्रीयता के बारे में सोचना चाहिए।जीवन में आगे बढ़ने के लिए आलोचना बहुत जरूरी है,यह हमें अपने कार्यों में सुधार करना सिखाती है।क्योंकि तारीफ तो कोई भी कर लेता है.

उम्र के इस पड़ाव पर उनका कहना है कि आजकल राजनीति का माहौल काफी बदल गया है।लोगों ने धैर्य खो दिया है। लोग रातों-रात स्टार बनने की ख्वाहिश रखते हैं। कोई भी काम त्याग और समय मांगता है।अब मैं घर पर बैठकर भगवान से सभी की खुशहाली के लिए प्रार्थना करता हूं।कभी-कभी कुछ पुराने मित्र या शुभचिंतक मुझसे मिलने आते हैं।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति की जब भी बात होगी श्री लीलाराम भोजवानी को जरूर याद किया जाएगा।संकटो को सुलझाने की काबिलियत और मजबूत फैसले लेने की उनकी क्षमता ऐसी बातें उन्हें बाकी राजनेताओं से अलग करती हैं।85 साल की इस उम्र में स्वास्थ्य कारणों से वह अब घर से कम बाहर निकलते है।लेकिन क्षेत्र के लिए उनके द्वारा किये गये कार्य सदैव लोगों के मन में अंकित रहेंगे।

(यदि आपके पास भी कुछ विशेष लेख या जानकारी है तो satyadarshanlive@gmail.com पर लिखे या 7587482923 में मैसेज करें)

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