53 साल पुराना ‘पाठक होटल’ जो अपनी शुद्धता की वजह से पहचाना जाता है…लोग सरल और प्रामाणिक तरीके से भारत के विविध स्वादों का अनुभव करने के लिए यहां आते हैं

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कमलेश यादव :लजीज भोजन के साथ यदि होटल मालिक का प्रेम और अपनापन भी मिल जाए तो पेट के साथ मन भी तृप्त हो जाता है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर के गुरुद्वारा चौक में स्थित पाठक होटल में सैकड़ों लोग खाना खाने के लिए जरूर रुकते हैं।53 साल पुराना ‘पाठक होटल’ अपने जिले का पहला होटल है जो अपनी शुद्धता की वजह से पहचाना जाता है.यहां चूल्हे पर सिकी रोटियां,दाल,सब्जी और चावल के सोंधेपन के स्वाद का लुत्फ़ आप कम पैसे खर्च करके उठा सकते हैं.

पाठक होटल की विशेषता यह है कि यहां केवल शाकाहारी खाना ही मिलता है।होटल के संचालक शिव पाठक ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि वर्ष 1970 में पिता स्व.भूपेंद्र पाठक ने इसे शुरू किया था।उस समय राजनांदगांव शहर तहसील हुआ करता था।पिताजी की सोच थी कि मांसाहार तो सभी जगह मिलता है,लेकिन शुद्ध शाकाहारी खाना जल्दी नहीं मिलता। बहुत लोग रास्ते में शुद्ध शाकाहारी खाना नहीं मिलने के कारण सफर में परेशान होते हैं। इसी कारण होटल में सिर्फ शाकाहारी खाने की व्यवस्था की गई। इसका भी ख्याल रखा गया कि लोगों को घर जैसा लजीज खाना मिले।खाने के बाद ग्राहक तारीफ कर ही जाएं,शिकायत नहीं।

पिताजी के दिये हुए संस्कार की विरासत को तीनों भाई शिव पाठक,महेश पाठक,संजय पाठक बखूबी निभा रहे है।लोगो के स्वाद का खास ध्यान रखा जाता है।धीरे धीरे यहां के खाने की चर्चा दूसरे शहर में भी होने लगी। अब कोई भी राजनांदगाँव शहर किसी भी काम से आये तो यहां भोजन जरूर करते है।परिवार के साथ आने वाले लोगों के लिए अलग व्यवस्था की गई।

सुबह 10 बजे से ही पाठक होटल लजीज व्यंजनों के साथ लोगो की सेवा के लिए खुल जाती है।आस पास के बाड़ियो से ताजे सब्जी प्रतिदिन लाया जाता है। सब्जियों को बनाते वक्त मसालों की खुशबू हवा में तैर रही थी,जो अंदर आने वाले हर किसी को लुभा रही थी।कर्मचारी होने के बावजूद होटल के संचालक शिव पाठक बड़े ही प्यार से आटा को गूंधता है।और उसे नाजुक ढंग से गोल गोल आकार देकर सभी लोगो के लिए नरम, फूला हुआ स्वादिष्ट रोटी बनकर तैयार है।

कोरोना काल मे चुनौतियों और अनिश्चितताओं के बीच,पाठक होटल करुणा,उदारता का एक बेजोड़ उदाहरण बनकर उभरा है।लोगो के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था की गई थी।महामारी जैसी कठिनाइयों के आगे झुकने के बजाय, पाठक होटल ने  सेवा के प्रति अपने प्रतिबद्धता को अवसर में बदल दिया।आज भी प्रतिदिन कई जरूरतमंद लोग यहां से निःशुल्क भोजन करके जाते है।

पाठक होटल वास्तव में एक भोजन प्रेमी का सपना बन गया है, जिसने अपने ग्राहकों के दिलों में स्वादिष्ट यादें बना लीं है।यहां के शेफ को भारतीय व्यंजनों से गहरा प्रेम है।इसीलिए सभी भोजनप्रेमी यहां खींचे चले आते है।स्व.भूपेंद्र पाठक का सपना एक ऐसी होटल बनाने का था जहां लोग सरल और प्रामाणिक तरीके से भारत के विविध स्वादों का अनुभव कर सकें।कभी इस शहर में आना हुआ तो एक बार लजीज स्वाद का आनंद लेने जरूर पधारे।

(यदि आपके पास भी कुछ विशेष लेख या जानकारी है तो satyadarshanlive@gmail.com पर लिखे या 7587482923 में मैसेज करें)

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