पितृसत्तामक सोच के आगे…पुरोहिताई की दीक्षा के बाद मां बेटी एक मंदिर में पुरोहित के रूप में कार्य कर रही हैं…इसके अलावा आसपास के मंदिरों में भी पूजा अर्चना कराती हैं

भारत पुरुष प्रधान देश है और भारतीय समाज पितृसत्तामक सोच पर निर्भर है। हालांकि अब महिलाओं को समाज में पुरुषों के समान स्थान मिलने लगा है। अपने प्रयासों से महिलाएं समाज के प्रथम पायदान पर आने लगी हैं। कई क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका और योगदान प्रबल हुआ है। भारत में धर्म को काफी महत्व दिया जाता है। यहां हर राज्य, शहर और गांव में मंदिर हैं, जहां पुजारी या पुरोहित के तौर पर एक पुरुष पूजा-पाठ कराते हैं। हालांकि मंदिरों में पुरुष पंडितों के साथ अब महिला पुरोहित भी शामिल होने लगी हैं।

केरल के एक मंदिर में मां-बेटी पुरोहित के तौर पर पूजा पाठ करती हैं। मां बेटी की जोड़ी ने पुरोहिताई करने की दीक्षा हासिल की है। आइए जानते हैं केरल की पुरोहित मां-बेटी के बारे में।

24 वर्षीय ज्योत्सना पद्मनाभन ने अपनी मां अर्चना कुमारी (47) के साथ पुरोहिताई करना सीखा है। ज्योत्सना और उनकी मां अर्चना एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। पुरोहिताई की दीक्षा के बाद मां बेटी थ्रिसूर के एक मंदिर में पंडित के रूप में कार्य कर रही हैं। इसके अलावा आसपास के मंदिरों में भी पूजा अर्चना कराती हैं।

बचपन से थी पुरोहित बनने की इच्छा
ब्राह्मण परिवार से होने के कारण ज्योत्सना और उनकी मां अर्चना शुरू से ही पूजा पाठ और भक्ति भावना से सराबोर रहीं। ज्योत्सना के पिता पद्मनाभन नम्बूथिरिपद पूजा और तंत्र साधना करते थे। जिसे देखकर ज्योत्सना के मन में पुरोहिताई सीखने की प्रबल इच्छा आई।

मां-बेटी मंदिर में कराती है पूजा
महज 7 साल की उम्र से ही ज्योत्सना ने साधना शुरू कर दी थी। ज्योत्सना ने वेदांत और साहित्य में डबल स्नातक किया है। बाद में ज्योत्सना ने अपने पिता के सामने बचपन के सपने यानी पुरोहित बनने की इच्छा जाहिर की जो पिता ने बेटी के हर कदम पर उनका साथ दिया।


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