क़िस्मत कुछ ख़ास जगहों पर मिलती है। वहां पहुंचने के अपने अवसरों को बढ़ाकर हम क़िस्मत से मुलाक़ात के मौक़ों में बढ़ोतरी कर सकते हैं। लेकिन हां, सिर्फ़ मुलाक़ात काफ़ी नहीं, हमें क़िस्मत को पहचानना और सही प्रतिक्रिया करना भी आना चाहिए।फ्रांसीसी लेखक, कलाकार और फिल्म निदेशक जां कॉक्ट्यु से एक बार पूछा गया कि क्या वह क़िस्मत में यक़ीन करते हैं। ‘जी बिल्कुल,’ उन्होंने जवाब दिया। ‘नहीं तो आप उन लोगों की सफलता को क्या नाम दोगे, जिन्हें आप पसंद नहीं करते?’ यह सच है, है कि नहीं? जब मैं सफल हूं तो वह मेरी मेहनत का नतीजा है, लेकिन कोई दूसरा सफल है, तो इसमें ज़रूर उसकी ख़ुशक़िस्मती का हाथ है!
व्यावहारिक ज्ञान बताता है कि क़िस्मत को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। यह मौक़ों और संभावनाओं से जुड़ी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलर ‘हार्ट, स्मार्ट्स, गट्स एंड लक’ के सहलेखक एंथनी जान के अनुसार क़िस्मत तीन प्रकार की होती है:
मैं अपने दोस्त के साथ किसी दूसरे की डिनर पार्टी में गया, मेरा परिचय किसी से कराया गया। हम एक-दूसरे को पसंद करने लगे, घूमे-फिरे अौर फिर शादी कर ली। सही समय पर सही जगह उपस्थित होने के कारण ही ऐसा हो पाया। परिस्थितियों ने ही इसे संभव बनाया।
उम्र, जाति, विरासत, संस्कृति या पालन-पोषण के कारण आपको एक निश्चित परिणाम देखना पड़ता है। उदाहरण के लिए, किसी कंपनी में आपकी उन्नति इस वजह से होना कि आप बॉस के शहर से आए हैं, यह प्राकृतिक क़िस्मत है।
इस प्रकार की क़िस्मत जहां कोई भी कारण और परिणाम का पता नहीं लगा सकता। कोई लॉटरी लगना या रास्ते में हज़ार रुपए का नोट पड़ा मिलना मूक क़िस्मत के उदाहरण हैं
यद्यपि जन्म से संबंधित और मूक क़िस्मत को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है, लेकिन परिस्थितिजन्य क़िस्मत के सिलसिले में मौक़ों को बढ़ाया जा सकता है। कैसे? बस ऐसे मौक़ों को बढ़ाकर, जहां कुछ संभावना मिल सकती हो, और फिर उनमें से बेहतरीन की तलाश कर आप अपना बेस्ट दे सकते हैं। लेकिन कोई कैसे मौक़ों को बढ़ाकर (रेज़), बेहतर की पहचान (रिकॉग्नाइज़) करके, बेहतर प्रतिक्रिया (रिस्पॉन्ड) कर सकता है?
इसे समझने के लिए एक वास्तविक घटना का उदाहरण लेते हैं : बार्नेट हेल्जबर्ग जूनियर, एक सफल व्यवसायी, जिन्होंने मशहूर जूलरी स्टोर की शृंखला बनाई, जिसकी सालाना आय 300 मिलियन डॉलर थी। एक दिन न्यूयॉर्क में प्लाज़ा होटल के सामने से गुज़रते हुए, उन्होंने किसी को ‘मि. बफ़ेट’ आवाज़ लगाते सुना।
हेल्जबर्ग ने नामी निवेशक वारेन बफ़ेट का नाम सुन रखा था, लेकिन उन्होंने कभी उन्हें देखा नहीं था। (उन दिनों वॉरेन बफ़ेट का चेहरा दुनिया के सामने उतना परिचित नहीं था।) हेल्जबर्ग ने सोचा कि क्या होटल से बाहर निकलने वाला वह आदमी वही फाइनेंस जीनियस है, जिसके बारे में उन्होंने पढ़ रखा था।
हेल्जबर्ग तब अपने व्यवसाय से बाहर आना चाहते थे, जिसे उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी दी थी। जो कुछ रिपोर्ट उन्होंने पढ़ी थीं, उनके आधार पर वह जानते थे कि बफ़ेट अधिग्रहण के लिए किन ख़ास बातों पर ध्यान देते थे। हेल्जबर्ग को यक़ीन था कि उनके जूलरी स्टोर की शृंखला बफ़ेट के मापदंड के अनुकूल थी।
अंधेरे में तीर चलाते हुए हेल्जबर्ग ने अजनबी के पास जाकर अपना परिचय देने का निर्णय कर ही लिया। यह बहुत ही बेहतरीन निर्णय रहा। वह आदमी वास्तव में वॉरेन बफ़ेट ही थे। एक साल बाद उन्होंने हेल्जबर्ग के व्यवसाय की बढ़िया क़ीमत लगाते हुए उसे ख़रीद लिया
हेल्जबर्ग के लिए खुशक़िस्मत मौक़ा? यक़ीनन। लेकिन यह कहानी नज़रिए और रास्ते के बारे में कई मुख्य बातें बयां करती है, जिस वजह से यह ख़ुशक़िस्मती संभव हो पाई-अगर हेल्जबर्ग सतर्क नहीं होते तो वह किसी अजनबी को ‘मि. बफ़ेट’ आवाज़ लगाते हुए नहीं सुन पाते।अगर हेल्जबर्ग ने बफ़ेट और उनके काम करने के तरीक़ों के बारे में नहीं पढ़ा होता, उन्हें बफ़ेट की अधिग्रहण शर्तों का भी पता नहीं चलता।अगर हेल्जबर्ग में सहजज्ञान नहीं होता, तो वह ‘मि. बफ़ेट’ का नाम सुनते हुए भी चले जाते, और सोचते होगा कोई बफेट!अगर हेल्जबर्ग शर्म या डर की वजह से आगे बढ़कर बफ़ेट को अपना परिचय नहीं दे पाते, तो वो यह मौक़ा गंवा देते।तो, हमें इन सारे औज़ारों की ज़रूरत होती है- मौक़ों को बढ़ाकर, बेहतर की पहचान करने और बेहतर प्रतिक्रिया के लिए। इसे दो आधारभूत श्रेणियों में बांटा जा सकता है :
यह हमारे सोचने और महसूस करने के तरीक़े को व्यक्त करता है। अतीत की हमारी सफलता, असफलता, पारस्परिक प्रभाव और अनुभव ही हमारा नजरिया है, जिससे चीजें़ हमारे पक्ष और विपक्ष में जाती हैं।यह किसी के काम करने के तरीक़े या हालात संभालने को व्यक्त करता है। यह हमारी शिक्षा, काम के अनुभव, प्रशिक्षण और दक्षता से प्रभावित होता है।
बहुत-सी ऐसी चीज़ें हैं जो हमें ख़ुशक़िस्मत या बदक़िस्मत बनाती हैं, उन्हें नज़रिए और रास्ते के माध्यम से समझा जा सकता है।