भारत आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 72वां जन्मदिन मना रहा है। पीएम मोदी के जन्मदिन पर देशभर में कई तरह के खास कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अपने जन्मदिन पर पीएम मोदी मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को छोड़ेंगे। नामीबिया से आठ चीतों को लेकर विशेष मालवाहक विमान शनिवार सुबह प्रदेश के ग्वालियर पहुंच गया है। अधिकारियों ने कहा कि इन आठ चीतों में पांच मादा और तीन नर हैं। नामीबिया से ‘प्रोजेक्ट चीता’ के हिस्से के रूप में इन्हें भारत लाया गया है।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्रीमान @narendramodi जी के जन्मदिन पर मध्यप्रदेश को इससे बड़ी सौगात हो नहीं मिल सकती कि चीते नामीबिया से भारत, भारत में भी मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश में भी कूनो पालपुर आ रहे हैं। #MPWelcomesCheetah pic.twitter.com/7XPx8yzIzx
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 17, 2022
चीतों के स्वास्थ्य परीक्षण की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद अब इन्हें ग्वालियर से विशेष हेलीकॉप्टरों से कूनो के लिए रवाना किए जाएगा। एयरफोर्स स्टेशन पर मौजूद जिला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक शिफ्टिंग स्वास्थ्य परीक्षण लगभग पूर्ण हो चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी सुबह करीब 9.20 बजे नई दिल्ली से ग्वालियर हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे। इसके बाद यहां से केएनपी (Kuno National Park) के लिए रवाना होंगे। जहां वह आज सुबह करीब 10.45 बजे चीतों को जंगल में छोड़ देंगे।
चीतों के मध्य प्रदेश आने पर सीएम ने जताई खुशी
इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने पीएम मोदी को जन्मदिन पर बधाई दी। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के लिए यह एक बड़ी सौगात है। इससे बड़ी सौगात हो नहीं मिल सकती कि चीते नामीबिया से भारत और भारत में भी मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क आ रहे हैं।
यह खास परियोजना का है हिस्सा
केएनपी में प्रधानमंत्री द्वारा जंगली चीतों की रिहाई भारत के वन्य जीवन और इसके आवास को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है। भारत में सबसे तेज भूमि पशु की शुरूआत प्रोजेक्ट चीता के तहत की जा रही है। यह दुनिया की पहली अंतर-महाद्वीपीय जंगली मांसाहारी ट्रांसलोकेशन परियोजना (inter-continental large wild carnivore translocation project) है।
बता दें कि 1952 में भारत में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। आज जिन चीतों को छोड़ा जाएगा, वे नामीबिया के हैं और उन्हें इस साल की शुरुआत में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत लाया गया है।