बीच मझधार में फंसे यूक्रेन से आए भारतीय छात्र…भारत से लगभग 14000 छात्र – छात्राएं मेडिकल की पढ़ाई करने हेतु यूक्रेन गए हुए थे जिसमें 207 छात्र – छात्राएं छत्तीसगढ़ के भी..इन बच्चों का भविष्य अंधेरे में है…नेशनल मेडिकल कमिशन(NMC) वर्तमान में न बच्चों को भारत में प्रवेश दिला पा रही है ना ही ऑनलाइन पढ़ाई को अपनी मंजूरी दे पा रही है

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रायपुर: देश में पर्याप्त चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध ना होने के कारण तथा विभिन्न सरकारी नीतिगत कमियों के कारण हर साल हजारों की संख्या में भारतीय छात्र यूक्रेन में अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूर्ण कर चिकित्सक बनकर एक चिकित्सक के रूप में देश की सेवा करने हेतु एक सपना संजोए यूक्रेन जाते हैं !

किंतु इस वर्ष 2022 में रूस और यूक्रेन के संबंधों में तनाव आने तत्पश्चात 24 फरवरी 2022 से घोषित रूप से युद्ध हो जाने के कारण लगभग 14000 मेडिकल के छात्रों को केंद्र सरकार ने ऑपरेशन गंगा के तहत मार्च 2022 के प्रथम सप्ताह तक अपने विभिन्न संसाधनों के जरिए भारत वापस लाया , सरकार ने इन छात्रों को देश में वापस लाकर उनकी प्राणों की रक्षा तो कर दी तथा साथी साथ भरोसा दिलाया की उनके भविष्य की पढ़ाई में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं आएगा स्थिति सामान्य होते ही यह यूक्रेन वापस जा सकते हैं अन्यथा इनकी पढ़ाई की व्यवस्था सरकार स्वयं करेगी एवं किसी का भी भविष्य बर्बाद नहीं होने देगी , समय – समय पर संबंधित केंद्रीय मंत्रियों एवं अधिकृत व्यक्तियों ने भी इस संबंध में अपनी सहमति प्रदान की !

वापस आने के पश्चात इन छात्रों ने अपनी उस सेमेस्टर की पढ़ाई युक्रेन की यूनिवर्सिटी द्वारा चलाया जा रहा है ऑनलाइन कोर्स के माध्यम से पूर्ण की उसके पश्चात इन छात्रों की आगे की पढ़ाई एक सितंबर 2022 से पुनः प्रारंभ होने वाली है , क्योंकि यूक्रेन और रूस के मध्य युद्ध निरंतर जारी है और इसके समाप्त होने की भी कोई निकट भविष्य में संभावना नहीं दिख रही है इस स्थिति में बच्चों का वापस यूक्रेन जाना कोई भी स्थिति में संभव नहीं है जिससे इनके आगे की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होने लगा है !

छात्रों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहे तथा किसी भी प्रकार की रुकावट ना आए इस हेतु विभिन्न प्रदेश जैसे बंगाल , कर्नाटक , तमिलनाडु , उड़ीसा , केरल , तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर और मीडिया के माध्यम से सूचित किया कि वे अपने प्रदेश के छात्रों को अगर NMC सहमति प्रदान करें तो आवश्यक सुविधा उपलब्ध करा कर अपने ही प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में उनकी आगे की पढ़ाई निरंतर कराने हेतु सहमत हैं एवं इस हेतु उनके प्रदेश के पास पर्याप्त सुविधाएं और अधोसंरचना उपलब्ध हैं तथा उनके लिए उनके प्रदेश के बच्चों का भविष्य सबसे पहले प्राथमिकता है इस हेतु सरकार जो भी आवश्यक कदम है वह उठाने के लिए तैयार है !

उपरोक्त संदर्भ में यह बताना उचित होगा कि भारत से लगभग 14000 छात्र – छात्राएं मेडिकल की पढ़ाई करने हेतु यूक्रेन गए हुए थे जिसमें 207 छात्र – छात्राएं छत्तीसगढ़ के भी थे , किंतु विभिन्न प्रयासों के बावजूद भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने उपरोक्त राज्य जैसे कोई भी पत्र लिखित रूप में केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है हालांकि पिछले 7 अगस्त को मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने के पश्चात मीडिया के माध्यम से भले ही उन्होंने केंद्र सरकार से इन बच्चों के संबंध में उचित कदम उठाने हेतु अपने विचार व्यक्त किए !

दिनांक 7 अगस्त 2022 को भी छत्तीसगढ़ के पूरे प्रदेश से यूक्रेन में 10 छात्र छात्राएं एवं उनके परिजनों ने राजधानी रायपुर में अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए माननीय मुख्यमंत्री माननीय स्वास्थ्य मंत्री तथा राष्ट्रपति महोदया को राज्यपाल के माध्यम से 3 छात्र छात्राओं के उचित भविष्य निर्धारण हेतु ज्ञापन सौंपा था जिसके पश्चात स्वास्थ्य मंत्री श्री टी . एस . सिंहदेव जी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मांडवीया जी को जल्द ही उचित कदम उठाने हेतु प्रार्थना की किंतु अफसोस मुख्यमंत्री के द्वारा इस प्रकार का कोई भी पत्र केंद्र सरकार को अब तक नहीं भेजा गया !

देश में नेशनल मेडिकल कमिशन ( NMC ) स्वास्थ्य शिक्षा की रेगुलेटरी बॉडी है तथा पूरे देश की स्वास्थ्य शिक्षा को एनएमसी ही नियंत्रित करती है जिसके अनुमति के बगैर कोई भी राज्य सरकार अपने राज्य में सीधे तौर पर छात्र छात्राओं को मेडिकल में प्रवेश नहीं दे सकती किंतु एनएमसी की सहमति राज्य सरकार की सहमति एवं राज्य सरकार के अधोसंरचना पर निर्भर करती है जिस के संबंध में पूरी जानकारी राज्य सरकार को ही एनएमसी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को देनी होती है उसके पश्चात ही एनएमसी कुछ निर्णय ले पाती है

हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एवं एनएमसी ने भी अपने स्तर पर इन छात्र – छात्राओं के संबंध में कोई ठोस नियम अब तक नहीं बनाया जबकि इन बच्चों को यूक्रेन से वापस आए लगभग 6 महीने होने जा रहे हैं अब क्योंकि यूक्रेन की स्थिति वापस जाने लायक नहीं है तो केंद्र सरकार और एनएमसी को चाहिए की वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन बच्चों की आगे की पढ़ाई अनवरत जारी रखने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जल्द से जल्द जारी करें !

एनएमसी वर्तमान में न बच्चों को भारत में प्रवेश दिला पा रही है ना ही ऑनलाइन पढ़ाई को अपनी मंजूरी दे पा रही है इसके अलावा इन बच्चों को अन्य देशों में स्थानांतरित करने हेतु विदेश मंत्रालय ने पुरजोर कोशिश कर ली किंतु उन्हें भी अब तक सफलता नहीं मिली जिसकी वजह से इन बच्चों का भविष्य अंधेरे में है , जबकि सितंबर 2022 से इनकी आगे की पढ़ाई यूक्रेन में शुरुआत होने वाली है और यूक्रेन की सभी में यूनिवर्सिटी इन बच्चों से अपने कॉलेजों की फीस मांगने के साथ ही ना देने पर कॉलेज से निकाल देने की धमकियों दे रहे हैं जिस वजह से सभी बच्चे और उनके पालक बहुत पहचान एवं दिशा विहीन हो गए हैं और सरकार से अपेक्षा रखते हैं की वह जल्द से जल्द इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएं जिससे बच्चों का भविष्य निर्धारण हो सके कि अब तक की हुई पढ़ाई व्यर्थ ना जाए एवं अब तक की पढ़ाई में खर्च हुए राशि किसी भी रूप में बेकार न जाए !

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