प्रेरणा….जिद ऐसा गांव-गांव निःशुल्क दे रहे है श्रीमद्भगवद्गीता…छोटे से गांव की बड़ी कहानी…उपहार स्वरूप गीता देने की शुरुआत सुमित गुप्ता के साथ….अम्बिकापुर का छोटा सा गांव हँसुली…

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अम्बिकापुर:-अगर मन में कुछ करने का इरादा हो, तो आप कुछ भी कर सकते हो।ऐसा ही एक शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे है ,जो गीता ज्ञान को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है,गांव-गांव जाकर श्रीमद्भगवद्गीता निःशुल्क लोगो को उपलब्ध करवाने के साथ-साथ उन्हें पढ़ने के लिए भी प्रेरित कर रहे है।अम्बिकापुर से महज 13 किमी की दूरी में छोटा सा गांव हँसुली जहा सुमित गुप्ता रहते है।गीता ज्ञान से ही भारत पुनः विश्वगुरु बने इसी उद्देश्य से इस मुहिम की शुरुआत की गई है।सोशल मीडिया में 38000 से ज्यादा फॉलोवर्स हो गए है।

मध्यम वर्गीय परिवार से सुमित गुप्ता को बचपन से ही गीता के श्लोकों को पिताजी सुनाया करते थे,पिताजी राजकुमार गुप्ता केंद्रीय विद्यालय में क्लर्क है जिन्होंने हमेशा से ही प्रोत्साहित किये है,घर का वातावरण ही श्रीमद्भगवद्गीतामय होने के वजह से मन मे आया क्यो न लोगो को इस विषय मे जागरूक किया जाए।बीकॉम तक शिक्षा ग्रहण किए सुमित गुप्ता शेयर ट्रेडिंग का काम करते है, अपनी आय का 50%हिस्सा गीता ज्ञान के प्रचार में लगा देते है।

क्यो पढ़े गीता
श्रीमद्भगवद्गीता में समस्त मानव जाति के जीवन सम्बन्धी प्रश्नो का उत्तर है।विद्यार्थी,गृहिणी, व्यापारियों,सभी के लिए ज्ञान का अलौकिक भंडार है।जिंदगी के सार-तत्व का ज्ञान इसमे समाहित है।5000 वर्ष पूर्व दिया हुआ ज्ञान आज भी उतनी ही सत्य है जितना चांद, तारे,और सूर्य का होना।विद्यार्थियों के लिए व्यक्तित्व विकास की बाते हो या जीवन सम्बन्धी उलझन सभी का जवाब इसमे है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
विज्ञान के अनुसार ऊर्जा को न ही बनाया जा सकता है,और न नष्ट किया जा सकता है,वह एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित होती है।ठीक हजारों साल पहले इस सिद्धांत का वर्णन गीता में है,आत्मा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है,और न नष्ट,यह केवल रूपांतरित होती है।विज्ञान के शोध के अनुसार आत्मा ऊर्जा का ही एक रूप है।

विद्यार्थियों के लिए
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि,हमारा आज तक का जीवन, कैसा बीता है ?हमारी परिस्थितियाँ कैसी रही हैं ?हमारी योग्यता क्या है ?असली अंतर इस बात का है कि…हम अपना आज और आने वाला कल किस तरह जीना चाहते हैं ?उसको लेकर हमारी सोच क्या है ?और हमारी तैयारी किस तरह की है ? जितनी बेहतर हमारी तैयारी होगी,उतनी शानदार हमारी सफलता होगी,इन सभी सवालों के जवाब दर्पण की तरह 700 श्लोकों के साथ श्रीमद्भगवद्गीता में उपलब्ध है।

समस्त मानव कल्याण के लिए भगवान कृष्ण द्वारा दिया हुआ यह उपदेश की, वास्तव में अभी जरूरत है।सुमित गुप्ता जैसे नवयुवक का इस तरह आगे आना निःशन्देह काबिलेतारीफ है।हमे भी बढ़-चढ़कर इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।चलो कुछ नया करे, एक नई संस्कृति का शुरुआत करे, जिसमे उपहार स्वरूप श्रीमद्भगवद्गीता को दिया जाए।सत्यदर्शन की टीम आप सभी से यही अपील करता है।

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