मौत के बाद भी दूसरों को जिंदगी देकर अमर हो गई “व्याख्याता शिखा सिंह बैस”…ब्रेन डेड घोषित होने पर चार लोगों को मिली नई जिंदगी

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गोपी साहू:एक दिन हम सभी को इस दुनिया को छोड़कर जाना है, लेकिन जाते-जाते अगर हम किसी दूसरे को जिंदगी दे जाएं तो इससे बड़ा पुण्य का काम कोई और नहीं हो सकता।इस संसार में कुछ लाेग ऐसे भी हैं,जाे मरकर भी दूसरों के काम आ जाते हैं। जाते-जाते भी उन परिवारों को रोशन कर देते हैं, जिनसे वे कभी मिले ही नहीं।छत्तीसगढ़ के अकलतरा में रहने वाली व्याख्याता शिखा सिंह बैस,शिक्षकीय जीवन मे लोगों को ज्ञान का पाठ पढ़ाने वाली अपनी मृत्यु के बाद अपने शरीर के अंगों से चार लोगों को नई जिंदगी दी है।

क्या है अंगदान
अंगदान का मतलब है कि किसी शख्स से स्वस्थ अंगों और टिशूज़ को लेकर इन्हें किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स में ट्रांसप्लांट कर दिया जाए। इस तरह अंगदान से किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है।

विश्व योग दिवस कार्यक्रम में जाने की तैयारी के दौरान अचानक शिखा सिंह बैस को चक्कर आने पर इलाज के लिए पहले बिलासपुर रायपुर के बाद नागपुर ले जाया गया।जहां 29 जून को इलाज के दौरान डॉक्टरों ने शिखा सिंह बैस को ब्रेन डेड घोषित कर दिया।ब्रेन डेड घोषित किये जाने के बाद नागपुर स्थित जोनल ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेशन सेंटर के समन्वयक वीणा वाठोरे के द्वारा अंगदान का महत्व बताये जाने पर पति जयसवाल सिंह पुत्री अनुष्का सिंह व अवंतिका सिंह के द्वारा व्याख्याता शिखा सिंह बैस के विभिन्न अंगों को दान करने का निर्णय लिया गया।

शिखा सिंह बैस की एक किडनी को केयर हॉस्पिटल नागपुर के एक 51 वर्षीय पुरुष मरीज को दिया गया।दूसरी किडनी ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल नागपुर के एक 41 वर्षीय महिला को ट्रांसप्लांट किया गया।उनके दोनों आंखों की कार्निया को महातमे आई बैंक को डोनेट किया गया जहां की प्रतीक्षा सूची के 2 लोगों को आंख की रोशनी मिल सकेगी।

परिवार का साहसिक निर्णय प्रेरणादायक
ब्रेन डेड होने के बाद व्याख्याता शिखा सिंह बैस के पति जयपाल सिंह बैस एवं पुत्री अनुष्का सिंह बैस एवं अवंतिका सिंह बैस ने साहसिक निर्णय लेते हुए,शिखा सिंह बैस के दोनों कार्निया(आंख) दोनो किडनी को जरूरतमंद लोगों को देने की घोषणा की और चार लोगों को नया जीवन देने दिया गया।

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