गोपी:किसी भी देश की समृद्धि की आईना वहां की रोड़ (सड़के) होती है।चमचमाती सड़के आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक पुलों का निर्माण करती हैं।आज हम एक गम्भीर विषय पर आपसे कुछ बातें साझा करने जा रहे है वह है सड़कों पर बने स्पीड ब्रेकरों के बारे में।स्पीड ब्रेकर गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों तथा वाहन चालकों की रीढ़ की हड्डी को ध्यान में रखकर निर्धारित मापदण्ड से बनाया जाता हैं।
ये है मानक स्पीड ब्रेकर
स्पीड ब्रेकर के लिए इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) की गाइडलाइन के अनुसार स्पीड ब्रेकर की अधिकतम ऊंचाई 4 इंच होनी चाहिए। ब्रेकर के दोनों ओर 2-2 मीटर का स्लोप दिया जाए ताकि वाहन स्लो होकर बगैर झटका खाए निकल जाए। 6 से 8 इंच तक ऊंचाई वाले और बगैर स्लोप के ब्रेकर नहीं बनाए जाने चाहिए। स्पीड ब्रेकर के पहले चेतावनी चिह्न लगे होने चाहिए। साथ ही ब्रेकर में सफेद या पीला पेंट एवं रेडियम होना चाहिए, जिससे दिन एवं रात में ब्रेकर दूर से ही वाहन चालकों को नजर आ जाए।अधिक जानकारी के लिए www-irc-nic-in में लाग इन करके जानकारी लिया जा सकता हैं।
इसमें यह ध्यान दिया गया है कि सड़क पर स्पीड ब्रेकर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई का स्लोप इस तरह बनाया जाए, जिससे वाहन की स्पीड तो कम करनी पड़े, लेकिन चालकों को हिचकोले या झटके नहीं लगें।स्पीड ब्रेकर का मकसद है कि गाड़ियों की रफ्तार को 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाना ताकि सड़क हादसों के खतरे कम किया जा सके।
पास -पास बने अमानक ब्रेकरों से झटका लगने से बढ़े कमर दर्द के मरीज
लोग मनमानी से बेतरतीब स्पीड ब्रेकर बनवा लेते हैं, जो दूर से नजर ही नहीं आते। रात के अंधेरे में तो बिल्कुल भी नहीं दिखते। ब्रेकर की हाइट भी इतनी होती है कि गाड़ी गुजरते वक्त उछल जाती है। इससे विशेषकर बाइक सवार संतुलन खोकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।