सपने साकार करने के लिए जज्बा और लक्ष्य पूरा करने का उत्साह होना चाहिए। दृढ़ निश्चय हो तो सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक समस्याएं आपकी राह में लिए कठिनाई नहीं बन सकती। मेहनत और लगन से उस मुकाम पर पहुंचा जा सकता है, जहां आप जाना चाहते हैं। इस बात को साबित करने वाले भारत में कम नहीं। भारत की महिलाओं को ही ले लो, एक पुरुष प्रधान समाज में जहां महिलाओं को घर की दहलीज पार करना मना था, घूंघट से बाहर नहीं निकल सकती थीं, उसी देश की महिलाएं आज आसमान में उड़ान भर रही हैं। देश की सुरक्षा से लेकर प्रशासनिक सेवा तक में कार्यरत हैं। महिलाओं को मौका मिले और उनका लक्ष्य तय हो तो उनके हौसलों को पंखों की उड़ान मिल जाती है। ऐसी ही एक महिला की कहानी प्रेरणादायक है। महिला मुंबई की रहने वाली है, जो वहां फूल बेचने का काम करती थी, लेकिन आज वह जिस मुकाम पर है, वहां पहुंचना हर किसी की बात नहीं। ये कहानी है मुंबई की सरिता माली की। जानिए सरिता माली के बारे में सबकुछ।
कौन है सरिता माली
सरिता माली मुंबई की रहने वाली हैं। सरिता की उम्र 28 साल है, वह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी करने की तैयारी में हैं। अब आप कहेंगे कि इसमें क्या बड़ी बात है। भारत से कई बच्चे व लड़कियां विदेश की यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन सरिता माली के लिए अमेरिका की एक बड़ी यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करना बहुत बड़ी उपलब्धि है। साथ ही हर एक युवा के लिए एक प्रेरणा है, जो अपनी मुश्किलों के सामने घुटने टेक देते हैं।
सरिता माली का परिवार और बचपन
दरअसल सरिता माली मुंबई की सड़कों पर फूल बेचने का काम करती हैं। सरिता माली का जन्म मुंबई की झोपड़पट्टी में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा नगर निगम के स्कूल से हुई। पिता फूल बेचने का काम करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। सरिता के परिवार में उनके माता, पिता के अलावा बड़ी बहन और दो छोटे भाइयों समेत कुल 6 सदस्य हैं। कमाने वाले केवल पिता हैं।
जब सरिता छठी कक्षा में थी तो वह पिता के साथ मुंबई के ट्रैफिक सिग्नल पर फूल बेचने के लिए गाड़ियों के पीछे दौड़ा करती थीं। बड़ी होने के बाद सरिता भी परिवार की मदद करने के लिए सड़कों पर फूल बेचने का काम करने लगीं। लेकिन पढ़ाई में होनहार सरिता ने अपने हालातों के सामने कभी सपनों को भुलाया नहीं। बल्कि पढ़ाई को जारी रखा।
सरिता माली की शिक्षा
सरिता वर्तमान में जेएनयू से पढ़ाई कर रही हैं। वह भारतीय भाषा केंद्र से हिंदी साहित्य में पीएचडी कर रही हैं। उन्होंने जेएनयू से एम और एमफिल की डिग्री प्राप्त की है। जेएनयू में पढ़ाई के दौरान भी सरिता जब कॉलेज से छुट्टी में घर जाती तो फूलों की माला बनाकर बेचा करती थीं। लॉकडाउन में जब उनका काम रुका तो उन्हें एहसास हुआ कि इसके अलावा उनके परिवार के पास रोजी रोटी का कोई जरिया ही नहीं हैं।
लेकिन कुछ कर गुजरने की चाह लिए वह मेहनत करती रहीं और आखिरकार सरिता माली उस मार्ग पर पहुंच गईं, जहां से वह अपने सपने साकार कर सकती हैं। सरिता माली को यूएस की टॉप यूनिवर्सिटी में से एक कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में पीएचडी करने का मौका मिला है।
सरिता की उपलब्धि
सरिता माली जेएनयू की सबसे कम उम्र की स्कॉलर हैं। 22 साल उम्र में ही सरिता ने जेएनयू में एमफिल के लिए दाखिला लिया था। सरिता ने अपने फेसबुक पर जानकारी साझा की है कि वह जेएनयू से अमेरिका तक का सफर तय करने जा रही हैं। अमेरिका की दो यूनिवर्सिटी में उनका चयन हुआ है, जिसमें कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और वाशिंग्टन यूनिवर्सिटी का नाम शामिल है। उनको यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए चांसलर फ़ेलोशिप मिली है।