भारत में दिव्यांगों के लिए या तो ज्यादातर जगहों पर खास सुविधाएं होती नहीं और जहां होती हैं वहां उन्हें मिल नहीं पाती। हाल ही में इसका उदाहरण रांची एयरपोर्ट पर देखा गया, जब इंडिगो एयरलाइन ने एक दिव्यांग बच्चे को हैदराबाद जाने वाली फ्लाइट में सवार होने से रोक दिया। इतना ही नहीं, एयरलाइन ने उसे यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा भी बताया। इस मजबूरी में बच्चे सहित उसके माता-पिता फ्लाइट में ट्रैवल नहीं कर सके।
आज जरूरत की खबर में जानते हैं कि सेंट्रल एविएशन डिपार्टमेंट के अनुसार एयरपोर्ट और हवाई सफर में दिव्यांगों को किस तरह के अधिकार और सुविधाएं हैं…
कोई भी एयरलाइन किसी दिव्यांग को साथ में अटेंडेंट, असिस्टिव डिवाइस जैसे व्हीलचेयर, प्रोस्थेटिक यानी आर्टिफिशियल बॉडी पार्ट, वॉकिंग क्रचेज प्लेन में ले जाने से मना नहीं कर सकती। बशर्ते इस बारे में बुकिंग के समय एयरलाइन को उनकी जरूरत के बारे में सूचित कर दिया गया हो।
एयरलाइंस को दिव्यांगों को दी जाने वाली सभी फैसिलिटी के बारे में अपनी वेबसाइट पर बताना होता है ताकि बुकिंग के दौरान दिव्यांग पैसेंजर जरूरत के हिसाब से सुविधा मांग सके।
अगर किसी दिव्यांग व्यक्ति को फ्लाइट में किसी मोबिलिटी इक्विपमेंट या सहायक की जरूरत हो तो उन्हें फ्लाइट के शेड्यूल्ड डिपार्चर टाइम से 48 घंटे पहले बताना होता है।
कन्फर्म टिकट वाले दिव्यांग व्यक्ति को एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद एयरलाइन उसकी जरूरत के हिसाब से सुविधा देती है। जैसे कि उसे डिपार्चर टर्मिनल से फ्लाइट में ले जाने और फिर फ्लाइट से अराइवल टर्मिनल के एग्जिट पॉइंट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एयरलाइन की होती है। इसका कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं होता।
दिव्यांग अपने साथ फ्लाइट में गाइड डॉग ले जा सकते हैं। यह यात्री की सीट के पास ही बैठा रहेगा। इसके लिए एयरलाइंस परमिशन देती हैं, बशर्ते डॉग पूरी तरह से ट्रेंड, वैक्सीनेटेड और मेडिकेटेड होने का लिखित प्रूफ हो।
एयरलाइंस को दिव्यांग पैसेंजर्स के चेक-इन लगेज पर ‘Assistive Device’ का टैग लगाना जरूरी होता है। इससे उनके लगेज की डिलीवरी होने में आसानी होती है।
किसी दिव्यांग को फ्लाइट में जाने से रोकने पर एयरलाइन को लिखित में बताना जरूरी होता है कि आखिर क्यों कोई दिव्यांग उड़ान की सुरक्षा के लिए हानिकारक होगा या हो सकता है।
फ्लाइट से एयरपोर्ट तक यात्रियों को लाने और ले जाने वाले वाहनों में चढ़ाने के लिए व्हीलचेयर की सुविधा होनी चाहिए।
अगर एयरपोर्ट पर 50,000 फ्लाइट्स हर साल आती-जाती हैं तो सीनियर सिटीजन और दिव्यांगजनों के लिए एयरपोर्ट टर्मिनल से बोर्डिंग गेट तक फ्री ऑटोमैटिक साधन।
यदि दिव्यांग को लगता है कि बोर्डिंग गेट पैदल चलने पर अधिक दूर है तो भी वह वाहन की मांग कर सकता है।
ऑटिस्टिक दिव्यांगों यानी जो अपनी बातों को नहीं कह पाते हैं उनके लिए ये खास सुविधा
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने ऑटिस्टिक दिव्यांगों यानी जिन्हें ऑटिज्म है। मतलब वो अपनी बातों को नहीं कह सकते हैं। उनके लिए कुछ सुविधाएं तय की हैं। इससे जूझ रहे लोगों के लिए बुकिंग पेज पर DPNA कोड डालना होता है। इसके बाद ऐसे यात्रियों को स्पेशल सुविधाएं IATA से रिलेटेड और अन्य फ्लाइट्स में मिल जाती हैं।
जनरल, स्लीपर, एसी चेयर कार और एसी थ्री टियर में 75% डिस्काउंट मिलता है।
फर्स्ट क्लास और एसी टू टियर में उन्हें 50% डिस्काउंट मिलता है।
एसी थ्री टियर और एसी चेयर कार (राजधानी और शताब्दी) में 25% डिस्काउंट मिलता है।
दिव्यांगों के लिए मेट्रो में सुविधाएं
मेट्रो में दिव्यांग यात्रियों के लिए व्हीलचेयर उपलब्ध कराई जाती है।
स्टेशन में एंट्री और एग्जिट के लिए फ्लैप गेट (Automatic Flap Gates) होते हैं, ताकि दिव्यांग यात्रियों को कोई दिक्कत न हो।
दिव्यांग यात्रियों के लिए शौचालय की सुविधा भी उपलब्ध है।
दृष्टिहीन यात्रियों के लिए मेट्रो में टैक्टाइल पाथ यानी पीले रंग की उबड़-खाबड़ टाइल्स लगी होती हैं।
सीढ़ियों के साथ हैंड रेल भी लगे होते हैं।
दिव्यांग यात्रियों के लिए मेट्रो में लिफ्ट की सुविधा भी होती है।
मेट्रो में दिव्यांग यात्रियों के लिए सीट भी रिजर्व्ड होती है।
दिव्यांगों के लिए बस में सुविधाएं
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार दिव्यांगों को प्राथमिकता वाली सीट,साइन बोर्ड, बैसाखी, विशेष तरह की छड़ी, वॉकर, हैंड रेल और सीटों पर सुरक्षा के लिए उपाय, व्हीलचेयर को बस में लाने, रखने तथा उसे लॉक करने की व्यवस्था जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। बसों की फिटनेस जांच के समय यह देखा जाना जरूरी है कि बसों में ये सारी सुविधाएं दी गई हैं या नहीं। दिव्यांगों की सुविधा से लैस बसों को ही फिटनेस जांच सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।