छोटे बच्चे जब बड़े होते हैं और हाई स्कूल की परीक्षा पास करते हैं तो उनके सामने यह समस्या आ जाती है कि आगे क्या करें…सिर्फ एजुकेशन मुहैया कराने से नहीं होगा…हमें बच्चों को यह भी गाइड करना होगा कि आगे उन्हें क्या करना चाहिए और किस फील्ड में जाना चाहिए…संदीप

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नवाचारी युवक संदीप महतो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। उन्हें अच्छी खासी नौकरी का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने गरीबों और आदिवासी बच्चों की जिंदगी बदलने की ठानी। वे इन बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं, अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं, गाइड करते हैं, करियर काउंसिलिंग करते हैं। उनके कई स्टूडेंट्स मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। कई बच्चे अच्छी नौकरी कर रहे हैं। अब तक संदीप 48 हजार बच्चों की मदद कर चुके हैं। बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन भी उनकी तारीफ कर चुके हैं।

36 साल के संदीप कहते हैं कि इंजीनियरिंग करने के बाद मुझे नौकरी का ऑफर मिला, लेकिन मेरी दिलचस्पी सोशल वर्क में थी। मैं लोगों के बीच जाकर काम करना चाहता था। इसलिए तय किया कि आगे की पढ़ाई सोशल वर्क में करूंगा। इसके बाद मैंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से मास्टर्स की पढ़ाई की।

वे कहते हैं कि पढ़ाई के वक्त एक प्रोजेक्ट वर्क के दौरान मुझे पता चला कि गरीबों और आदिवासी क्षेत्रों के ज्यादातर बच्चे हाई स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं। उनकी पढ़ाई छूट जाती है। जब मैंने इसको लेकर स्टडी शुरू की तो पता चला कि इसके पीछे उनकी गरीबी है। उनके मां-बाप के पास पैसे नहीं होते हैं, इसलिए वे अपने बच्चों की पढ़ाई छुड़वा के काम में लगा देते हैं। इसके बाद मेरे दिमाग में ख्याल आया कि इसको लेकर कुछ करना चाहिए।

संदीप कहते हैं कि मैं भी साधारण परिवार से ताल्लुक रखता हूं और मुझे भी पढ़ाई के दौरान इन चीजों को फेस करना पड़ा था। इसलिए मैंने तय किया कि आगे नौकरी करने की बजाय ऐसे लोगों की मदद के लिए ही काम किया जाए। इसके बाद मैं मुंबई से गांव लौट आया। फिर यहां के लोगों से मिलना शुरू किया, उनकी दिक्कतें समझीं और उन्हें पढ़ाई के लिए जागरूक करना शुरू किया। शुरुआत में कई लोग तैयार नहीं थे, लेकिन काफी समझाने के बाद वे लोग तैयार हो गए।

50 बच्चों से शुरुआत की मुहिम
इसके बाद संदीप ने भारत कॉलिंग नाम से NGO की शुरुआत की और गांव के लोगों की मदद से 50 बच्चों के साथ एक स्कूल शुरु किया। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। दूसरे गांव के बच्चों तक भी हमने पहुंचने की पहल की। इसको लेकर उनकी भी दिलचस्पी बढ़ी और वे भी हमारी मुहिम में जुड़ गए। हमने उन गांवों में भी बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसके बाद हमने खुद की टीम भी बढ़ाई। जो लोग सोशल चेंज करना चाहते थे, वे हमारे साथ जुड़ गए। इससे हमें काफी सपोर्ट मिला। इस तरह वक्त के साथ हमारा दायरा बढ़ता गया। बच्चों की संख्या बढ़ती गई।संदीप बताते हैं कि अभी हम लोग मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में काम कर रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में हमारे साथ वॉलिंटियर्स भी जुड़े हैं। जो बच्चों को हर लेवल पर गाइड करते हैं। फिलहाल हम 982 गांवों में काम रहे हैं। हजारों की संख्या में हमारे साथ स्टूडेंट्स जुड़े हैं। अब तक हम लोग 48 हजार से ज्यादा बच्चों की मदद कर चुके हैं। हमारे यहां के कई बच्चे अच्छी यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं। कई बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग कर रहे हैं। कुछ बच्चों की अच्छी जॉब भी लगी है।

संदीप कहते हैं कि छोटे बच्चे जब बड़े होते हैं और हाई स्कूल की परीक्षा पास करते हैं तो उनके सामने यह समस्या आ जाती है कि आगे क्या करें। हम लोग जिन बच्चों को पढ़ा रहे थे, उन्हें भी इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। फिर हमने तय किया कि सिर्फ एजुकेशन मुहैया कराने से नहीं होगा। हमें बच्चों को यह भी गाइड करना होगा कि आगे उन्हें क्या करना चाहिए और किस फील्ड में जाना चाहिए। शहरों में बच्चों को इस तरह की गाइडेंस मिलती भी है, लेकिन गांवों में या गरीब परिवार के बच्चों को ऐसी सुविधा नहीं मिल पाती है।

इसके बाद संदीप ने पढ़ाई के साथ बच्चों के लिए करियर काउंसिलिंग और करियर गाइडेंस की सुविधा शुरू की। फिर उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की। जिन छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए पैसे की जरूरत थी, उसकी भी व्यवस्था की। इतना ही नहीं, वे बच्चों को फैलोशिप भी देते हैं। देश के दूसरे राज्यों के बच्चे भी उनकी इस मुहिम का लाभ ले रहे हैं। इसके अलावा वे बच्चों के समर कैंप भी आयोजित करते हैं। इसमें 45 दिनों तक बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के साथ बेहतर करियर बनाने के लिए हर तरह की जरूरी ट्रेनिंग मुहैया कराई जाती है।

गरीब महिलाओं को रोजगार से जोड़ा
संदीप कहते हैं कि आदिवासी इलाकों में ज्यादातर लोग काफी गरीब हैं। यहां की महिलाओं के पास कुछ खास काम नहीं होता है, लेकिन उनके पास हुनर है। मैंने इस चीज को पहचाना और तय किया कि अगर इन्हें अच्छी ट्रेनिंग दी जाए तो ये लोग अच्छा मुनाफा कमा सकती हैं। इससे इनकी लाइफ भी बेहतर होगी और इनके बच्चों को पढ़ने का भी मौका मिलेगा।इसके बाद हमने स्थानीय महिलाओं को सिलाई-बुनाई की ट्रेनिंग दी। उन्हें लोकल प्रोडक्ट तैयार करने की ट्रेनिंग दी। इसके बाद विकल्प नाम से उनके प्रोडक्ट की मार्केटिंग शुरू कर दी। इससे इन्हें काफी सपोर्ट मिला। आज इन महिलाओं का ग्रुप सालाना 7 से 8 लाख का बिजनेस कर लेता है।

कई नेशनल अवार्ड से सम्मानित, बीग बी ने की तारीफ
इस काम को लेकर संदीप को नेशनल लेवल पर कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। कई जगहों से उन्हें फैलोशिप और फंड भी मिले हैं। इतना ही नहीं साल 2014 में KBC के मंच पर अनोखी मिसाल सीरीज में उनके काम को लेकर एक डॉक्युमेंट्री भी दिखाई गई थी। इस सीरीज में देशभर से 13 लोगों को सिलेक्ट किया गया था। उनमें से एक संदीप भी थे। तब बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने उनकी तारीफ की थी।

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