भारत के अंतरिक्ष संस्थान ‘भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन’ (ISRO) के अगले प्रमुख रॉकेट वैज्ञानिक एस सोमनाथ (S. Somanath) को नियुक्त किया गया है. एस सोमनाथ ने GSLV Mk-III लॉन्चर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
ISRO के नवनियुक्त अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए व्यापार के अवसर प्रदान करने के वास्ते विकसित करने की जरूरत है और भावी पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में बदलाव करने की भी आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ISRO तक ही सीमित है, लेकिन सरकार अब चाहती है कि इस क्षेत्र में नए लोग आएं. सोमनाथ ने अंतरिक्ष बजट को मौजूदा 15,000-16,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000-50,000 करोड़ रुपये से अधिक किए जाने की आवश्यकता जताते हुए कहा, ‘‘लेकिन अंतरिक्ष बजट में वृद्धि केवल सरकारी धन या समर्थन से नहीं हो सकती है. जैसे दूरसंचार और हवाई यात्रा जैसे क्षेत्रों में जो बदलाव हुए, वहीं बदलाव यहां भी होना चाहिए. इससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं और अनुसंधान एवं विकास बढ़ सकता है.” उन्होंने स्पष्ट किया कि हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि इसरो का निजीकरण किया जा रहा है”
एस सोमनाथ उच्च-दाब वाले सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास कार्यों का भी हिस्सा रह चुके हैं। चंद्रयान-2 के लैंडर के इंजन को विकसित करने और जीसैट-9 में लगे इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम की उड़ान को सफल बनाना भी उनकी उपलब्धियों में शामिल रहा है। सोमनाथ लॉन्च व्हीकल के ढाचांगत प्रणालियों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए दुनियाभर में पसंद किए जाने वाले पीएसएलवी के इंटिग्रेशन डिजाइन को तैयार करने में अहम योगदान दिया है।