कमलेश यादव:जिंदगी में बेशक हम आगे बढ़े नई नई चीजें सींखे लेकिन इसका मतलब यह नही की प्राचीन विरासतों धरोहरों को वक्त के साथ धूमिल होते छोड़ दे।आज हम बात कर रहें है छत्तीसगढ़ की समृध्द प्राचीन धरोहरों के बारे में जिसके साथ कभी न खत्म होने वाला रिश्ता बना हुआ हैं।छत्तीसगढ़ राज्य बने तकरीबन 21 साल हो गए हैं फिर भी पर्यटन के दृष्टिकोण से विदेशी सैलानियों को कम आकर्षित कर पा रहे है।कई धरोहरों को सुरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता है।जल जंगल और जमीन जैसे बेशकीमती संसाधनों से कुदरत ने छत्तीसगढ़ को नवाजा हैं।छत्तीसगढ़ पर्यटन के क्षेत्र में लगातार काम करने वाले संदीप राठौर की जुबानी जाने पुरानी रियासतों को कैसे विश्वपटल में लाया जा सकता हैं।
उन्होंने सत्यदर्शन को बताया रतनपुर किला (गज किला) हमारे छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,रतनपुर का गज किला रतनपुर के इतिहास और पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी महत्व रखता है।रतनपुर किले का निर्माण 10वीं से 12वीं सदी के बीच कल्चुरी राजाओं ने कराया था। वर्तमान में यह किला जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। किले में कई प्राचीन मूर्तियों के साथ ही मंदिरे भी है। यहां सबसे प्राचीन मंदिर लक्ष्मीनारायण मंदिर, जगन्नाथ मंदिर है।यह नगर कल्चुरी एवम् मराठा शासन के समय छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करती थी।इस राज की स्थापना रतनराज / रत्नदेव प्रथम ने करवाई थी।मंदिर की और भी बहुत सारी कहानियां है जिसे आपको यहां पहुंच कर सुननी चाहिए। हमारे शहर से इतना भव्य किला है जो प्रचार प्रसार के अभाव में, लोगों की बीच प्रचलित नहीं हो पाया है, आप सबसे निवेदन है जब भी रतनपुर आए तो माँ महामाया मंदिर के दर्शन के साथ यहां भी जाए, यहां किसी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लगता।और सबसे महत्वपूर्ण, आप सबसे यह गुजारिश रहेगी कि यहां की साफ़ सफाई बनाए रखे।यहां किसी भी प्रकार के प्रोफेशनल कैमरा और ड्रोन से फोटो लेना मना है।
प्राचीन मंदिरों और किला में वास्तुकला और बनावट उस काल की समृद्धि को दर्शाता हैं।आज जिसकी हम खोज कर रहे है असल मे यह सदियों साल पहले हमारे पूर्वजों ने हासिल कर चुके है।हस्तलिखित पांडुलिपियों के अभाव के वजह से समय के साथ सब विलुप्त हो गए हैं।शासन को ऐसी नीतियां बनानी होगी जिसमें सभी नागरिक भी इस दिशा में कार्य करे।छत्तीसगढ़ के सभी जिले में पुरानी धरोहरों के बारे में विस्तारपूर्वक आम लोगो को जानकारी दिया जाए।पर्यटन में काम करने वाले लोगो को प्रोत्साहित किया जाए ताकि वे और अच्छे से इस दिशा में कार्य कर सके।धान का कटोरा कहें जाने वाली छत्तीसगढ़ वास्तव में कितनी अनोखी और मनमोहक है।पर्यटन के क्षेत्र में ढेरों सम्भावनाएं है।