कमलेश यादव:मदद करने की चाह वह भी किसी प्रकार के प्रतिफल की आकांक्षा लिए बगैर बहुत कम लोगों और संस्थाओं में देखने को मिलता है।वास्तव में सभी वर्चुअल दुनियां में बदलाव चाहते है जमीनी हकीकत में अभी भी काफी कार्य करने की आवश्यकता है।सोशल मीडिया के दौर में सामाजिक क्रांति तमाम प्रकार की डिजिटल मंच में आये दिन हम देखते है।हालांकि मानवहित में काफी सारे फायदे है लेकिन कभी कभी मनगढ़ंत कहानिया भी समाज की हिस्सा बन जाती है जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नही रहता है।आज हम बात करेंगे ऐसे सामाजिक संगठन के बारे में जिनका विजन निःस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करना है। छत्तीसगढ़ राज्य में सक्रिय जन सेवा संगठन वंचित शोषित पीड़ितों की आवाज बनकर एक नया अध्याय लिख रहा है।संस्था का उद्देश्य न केवल मदद करना है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में अवसरों की खोज द्वारा आजीविका के वैकल्पिक स्रोतों का सृजन भी करना है।
संस्था के ज़िला अध्यक्ष धीरेन्द्र साहू कहते है कि छत्तीसगढ़ माओवादी ग्रसित राज्य की श्रेणी में आता है साथ ही हजारों की संख्या में यहां किसी न किसी रूप में पीड़ित परिवार निवास करते है जिन्हें शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए लाभ दिलवाना है।आर्थिक रूप से उन्हें मजबूती प्रदान कर शासन की पुनर्वास नीति के साथ जोड़ना है।विभिन्न जिलों से हताश हुए पीड़ित जिनके आगे पीछे मदद के लिए कोई भी नही है उनके लिए यह संस्था विशेष रूप से कार्य कर रही है।
गौरतलब है कि “नक्सल पुनर्वास नीति के तहत केंद्र शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं का प्रावधान है व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा योजना के तहत शासकीय नौकरी, आर्थिक सहायता राशि, जिला मुख्यालय में मकान, राज्य के अंदर चलित बसों में 50 प्रतिशत छूट, राशनकार्ड, परिवार के 2 बच्चों को शिक्षा छात्रवृत्ति, नक्सल पीड़ित प्रमाण पत्र, जमीन के बदले जमीन आदि सुविधाएं दी जानी है।”