21 वी सदी के दौर में आज भी कई गांव सीमित संसाधनों के साथ लोगो का ध्यान अपनी ओर नही खींच पाया है दरअसल हजारो स्वयंसेवी संगठनों का कार्यक्षेत्र शहरों तक सीमित होते है… सुमित जी पिछले कई वर्षों से ठंड के दिनों में कंबल और राशन सामग्री जरूरतमंदों को उपहार देते है…शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए घर घर निःशुल्क भगतवतगीता बाटने का अभियान भी इन्ही के द्वारा शुरू की गई है

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कमलेश यादव:सर्द गुलाबी ठंड का एहसास शुरू हो गया है विशेषकर वनांचल क्षेत्रो में कड़ाके की ठंड से जनजीवन प्रभावित हो जाता है।21 वी सदी के दौर में आज भी कई गांव सीमित संसाधनों के साथ लोगो का ध्यान अपनी ओर नही खींच पाया है दरअसल हजारो स्वयंसेवी संगठनों का कार्यक्षेत्र शहरों तक सीमित होते है आज की कहानी ऐसे युवक की है जिन्होंने लोगो की मदद के लिए ग्रामीण क्षेत्रो को ही चुना है।वजह यह है जहां अंधकार है वहा दीप जलाने की जरूरत है।ऐसे लोगो को चिन्हाकित करना जो वास्तव में मदद के सही हकदार है।अपने किये हुए नेक कार्यो से व्यक्ति एक व्यक्तित्व में परिवर्तित हो जाते है और यही व्यतित्व हजारो लाखो लोगो की प्रेरणापुंज बनकर समाज को नई दिशा देते है।सुमित जी पिछले कई वर्षों से ठंड के दिनों में कंबल और राशन सामग्री जरूरतमंदों को उपहार देते है उनका ये मानना है अगर हम पढ़ लिखकर अच्छे व्यक्ति बन जाये तो हमारा कर्तव्य हो जाता है कि जिस समाज से हम आये है उसके लिए कुछ करे।शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए घर घर निःशुल्क भगतवतगीता बाटने का अभियान भी इन्ही के द्वारा शुरू की गई है अब कई लोग उन्हें “गीतामैन” के नाम से जानते है।

हर किसी का इस दुनिया मे आने का निश्चित उद्देश्य है साथ ही आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ रहने की शिक्षा हमारे पुरखो ने हमे दी है।गौर करे कइयों के साथ सोचते सोचते जीवन बीत जाता है एक के बाद एक दिन एक के बाद एक घँटा और फिर पता नही चलता कि पिछला बिताया जीवन कहा गया मुंह घुमाके देखो तो अभी कल की ही बात दिखती है।दस साल बीस साल यूं ही बीतते हुए दिखाई देते है।सबसे पहले स्वयं में दक्षता हासिल करने के बाद अपने आसपास के लोगो के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना भी ईश्वर की पूजा से कम नही है।

हमारा सौभाग्य है सोने की चिड़िया कहलाने वाली भारत देश मे जन्म लिए है जिस धरती में हम रह रहे है इसका इतिहास काफी समृद्ध रहा है ऋषि मुनियों और बड़े बड़े साधु संतों की दिव्य ऊर्जा आज भी प्रवाहमान है।पर बदलते वक्त के साथ विकृति ने भी जन्म लिया है जिसके परिणामस्वरूप एक इंसान से दूसरे इंसान के बीच की खाई बढ़ी है।अमीरी गरीबी ऊंचा नीचा जैसे शब्दों ने इंसानियत के ऊपर प्रहार किया है।यह धरती जिसे हमे एक दूसरे के साथ मिलकर रहने के लिए दिया गया है पूर्वजो की द्वारा दी गई विरासत को सहेज कर रखने की जरूरत है।मदद वाली संस्कार को जगाने की आवश्यकता है सुमित जैसे नवयुवक पूरे समाज को दिशा देने में लगे हुए है जो कि काफी प्रेरणादायक है।देर से ही सही पर बदलाव निश्चित है काली घटा कब तक भला प्रकाश को रोक पाई है।

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